नक्षत्रों का राजा पुष्य क्यों हुआ शापित जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से क्यों पुष्य नक्षत्र में शादी करना मना है।
कोलकाता। नक्षत्रों का राजा पुष्य है। पर विवाह प्रयोजन के लिए शापित है पुष्य। विवाह नहीं होता है पुष्य नक्षत्र में।
कर्क राशि के केंद्र में स्थित पुष्य नक्षत्र सबसे अधिक चर्चित रहा है। कर्क का अर्थ है ‘केकड़ा’। इसके कई पैर और एक निश्चित आकार होता है। ऋग्वेद में पुष्य को तिष्य कहा गया है जिसका अर्थ है शुभ। हिन्दू कैलेंडर के पौष माह की पूर्णिमा की रात चंद्रमा इसी नक्षत्र में रहता है। सभी मुहूर्त (शुभ क्षण) प्रयोजनों के लिए पुष्य उत्कृष्ट माना गया है। इसकी शुभता के कारण पाणिनि ने इसका नाम ‘सिध्य’ रखा।
इस नक्षत्र को विवाह के लिए वर्जित कर दिया गया-
इस नक्षत्र को विवाह के लिए वर्जित कर दिया गया क्योंकि इस नक्षत्र में किया गया विवाह व्यर्थ हो जाता था। वराहमिहिर ने अपनी पुस्तक ‘वृहद दैवज्ञ रंजनम’ में पुष्य नक्षत्र के बारे में लिखा है कि ब्रह्मा ने अपनी पुत्री शारदा का विवाह इसी नक्षत्र के दौरान गुरुवार को किया था। इस अवसर पर वह स्वयं उस पर मोहित हो गए। परिणामस्वरूप, उनके रोम-कूपों से तत्काल ६०००० वाल्खिल्य ऋषि उत्पन्न हो गये। ये सभी उच्च कोटि के तपस्वी निकले। लेकिन ब्रह्मा बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने पुष्य नक्षत्र को शाप दिया कि इस नक्षत्र के दौरान विवाह कार्य नहीं किए जा सकेंगे।
क्यों है पुष्य नक्षत्रों का राजा –
पुष्य नक्षत्र से संबंधित सभी मुहूर्त सर्वथा सिद्ध होते हैं। इसीलिए इसे नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। यह अजीब बात है कि गुरुवार को पुष्य नक्षत्र हो ये युति को इतना अधिक पसंद किया गया है – अन्यत्र, उसी युति में नक्षत्र को शाप भी मिला।
वैदिक ऋषियों को नक्षत्रों का गहन ज्ञान था इसलिए उन्होंने उसके अनुसार नियम बनाए और धार्मिक जनता को उन्हें समझाने के लिए उनसे संबंधित पौराणिक कथाएँ गढ़ीं।