नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है, जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से की क्या हैनाग पंचमी का महत्व।
कोलकाता। हिंदू पंचांग के अनुसार, नाग पंचमी सावन महीने में शुक्ल पक्ष की पंचम तिथि को मनाई जाती है। इस दिन शिवभक्त नाग देवता की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. मंदिरों में नाग देवता का जलाभिषेक किया जाता है और उन्हें दूध चढ़ाया जाता है. इस दिन शिवभक्त उपवास भी रखते हैं. मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर करते हैं.
नाग पंचमी का महत्व
हिंदू त्योहारों में नाग पंचमी का खास महत्व है. नाग शिव भगवान के गले का आभूषण है. नाग पंचमी पर जीवन में सुख-समृद्धि, खेतों में फसलों की रक्षा के लिए नाग देवता की पूजा की जाती है. नाग पंचमी के त्योहार पर नाग देवता के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा व रुद्राभिषेक करने से जीवन में कालसर्प दोष खत्म होता है. इस दिन नागों को अभिषेक कराने और उन्हें दूध चढ़ाने से पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार, नाग पंचमी पर अगर घर के बाहर सांप का चित्र बनाया जाता है तो इससे नाग देवता की कृपा परिवार पर बनी रहती है
नाग पंचमी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय ने पिता की मृत्यु का कारण सर्पदंश जाना तो उसने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया। नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की। इस कारण तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था। तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी। वहीं नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
क्या करें, क्या न करें
मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी पर उपवास रखना चाहिए। नाग देवताओं की पूजा करें, उनका जलाभिषेक करें, फूल व दूध चढ़ायें। साथ ही नाग मंत्र का भी जाप करें। शिवलिंग या नाग देवता को दूध चढ़ाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि दूध पीतल के लोटे में हो। नाग पंचमी पर सूई धागे का इस्तेमाल करना भी अशुभ माना जाता है और इस दिन लोहे के बर्तन में भोजन नहीं बनाना चाहिए।