गांव की अभिशप्त गलियों से क्यों आजाद नहीं होना चाहती आधी आबादी
मासिक धर्म के दिनों में किया जाता है घरों के बीच की गलियों का उपयोग

बैतूल। जिले के ग्रामीण अंचलों में मासिक धर्म के दिनों में महिलाओं की स्थिति अछूत जैसी रहती है। घर के एक कोने में जमीन पर बिछौना बिछाकर सोना और अपना ही घर उन दिनों में उपयोग करने की उन्हें मनाही होती है। पीडिय़ों से महिलाएं मासिक धर्म के दिनों में रुढिय़ों का पालन करती चली आ रही है। आज भी गांव में घर के पीछे आंगन में यदि जाना हो तो महिलाएं घर के बाहर निकलकर गली का उपयोग करती है।
पिछले कुछ वर्षों से बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति अपने प्रकल्प सशक्त सुरक्षा बैंक के माध्यम से ग्रामीण अंचलों में जागरुकता लाने का प्रयास कर रही है। इसी के तहत ग्राम खंडारा में भी महिलाओं एवं बालिकाओं को मासिक धर्म के दिनों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुक रहने के संस्था अध्यक्ष एवं सशक्त सुरक्षा पैड बैंक की संस्थापक गौरी बालापुरे पदम ने महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं को समझाईश दी।जब महिलाओ से सवाल किया गया कि आखिर क्यों वे मासिक धर्म के दिनों में गलियों का उपयोग करती है तो उनके पास इसका सिर्फ एक ही जवाब था सास या मां ने कहा है इसलिए। घर पक्के हो गए पर गांव गलियों से आज भी आजाद न हुए।
मासिक धर्म की भ्रांतियों पर खुली चर्चा
ग्राम खंडारा में महिलाओं एवं बालिकाओं को नि:शुल्क सेनेटरी पैड वितरित कर श्रीमती पदम एवं संस्था की सदस्य मेहरप्रभा परमार द्वारा मासिक धर्म के दिनों में सेहत एवं स्वच्छता का ध्यान रखने की समझाईश दी गई। सेनेटरी पैड का उपयोग एवं उसके निस्तार को लेकर भी प्रेरित किया गया। महिलाओं ने चर्चा के दौरान बताया कि मासिक धर्म के दिनों में वे घर में सबसे सामने या सबसे पीछे वाले कमरे में रहती है। जमीन पर ही बिछौना बिछाकर सोती है। उन दिनों में उन्हें सभी से अलग रहना होता है। घर की किसी वस्तु को वह छू भी नहीं सकती। भोजन, पानी आदि उसे दूर से दिया जाता है। इसके अलावा वे मासिक धर्म के तीन से पांच दिनों के बीच अपने घर के सभी कमरों में नहीं जा सकती। यदि उन्हें घर के पीछे जाना हो तो घर के साईड से बनी गली का उपयोग करना होता है। श्रीमती पदम ने बताया कि सशक्त सुरक्षा बैंक का उद्देश्य उन दिनों की भ्रांतियों को दूर करने के अलावा महिलाओं को अपने स्वास्थ्य एवं खानपान के प्रति जागरुक करना भी है।