पुत्र की कामना रखने वाले दांपत्य को किस शक्तिपीठ जाना चाहिए , जाने शक्तिपीठो के बारे में डॉ सुमित्रा अग्रवाल से भाग ३
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल कोलकाता
सिटी प्रेजिडेंट इंटरनेशनल वास्तु अकादमी
कोलकाता। सुगंधा शक्तिपीठ में माँ सुनंदा कमल पर विराजमान है। माँ का तेज सोने के समान है और इन्होंने सोने के उत्तम आभूषण धारण किए हैं। उसके वस्त्र सुनहरे हैं और उन्होंने अपने हाथों में कमल, अंकुसा और पास धारण किया है। देवी को “सुनंदा” और भगवान शिव को त्र्यंबक कहा जाता है। इसे सुगंध शक्तिपीठ भी कहते हैं।
माँ सुनंदा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओ को कहा जाना होगा
यह शक्तिपीठ बांग्लादेश के शिकारपुर गांव में स्थित है। सुनंदा देवी का मंदिर शिकारपुर गांव में सुनंदा नदी के तट पर स्थित है। ये पूर्व में बरिसाल से २१ किमी दूर है। ढाका स्टेशन से बस द्वारा बरिसाल-शिकरपुर जा सकते हैं। इसके बाद कबाकंती होते हुए सुगंधा नदी के तट पर स्थित उग्रतारा मंदिर जा सकते हैं। प्रांगण में मंदिर का निर्माण किया गया है। हम खुलना से स्टीमर द्वारा बरिसाल और वहां से सड़क मार्ग से शिकारपुर भी जा सकते हैं।
सती माता का कौनसा अंग
यह वह मंदिर है जिसे शक्तिपीठ माना जाता है क्यों की यहां सती माँ की नाक गिरी थी।
पुत्र की कामना करने वाले लोग क्या करे
शिव चतुर्दशी के दिन इस शक्तिपीठ के दर्शन और पूजा से पुत्र और धन की प्राप्ति होती है। इस वर्ष की आखिरी शिव चतुर्दशी २१ दिसंबर को है।