विश्व हिंदू परिषद गुड़ी पाडवा पर तिलक लगा के देगा नव वर्ष की बधाईया- पांडे

सारणी। विश्वहिंदू परिसद मुलताई जिले के जिला सह सयोंजक लक्ष्मी कांत पांडे ने बताया कि भारत में कई तरह के धार्मिक पर्व, त्योहार और उत्सव मनाए जाते हैं। इन्हीं उत्सवों में से एक है गुड़ी पड़वा। तिथि के आधार पर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा का पर्व 2 अप्रैल को मनाया जाना है। गुड़ी पड़वा एक ऐसा पर्व है, जिसकी शुरुआत के साथ सनातन धर्म में कई सारी कहानियां जुड़ी हैं। हिंदी कैलेंडर के अनुसार, गुड़ी पड़वा के दिन से ही चैत्र नवरात्रि का भी प्रारंभ होता है। साथ ही इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है। गुड़ी पड़वा को उगादी और संवत्सर पडवो भी कहते हैं। हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत की शुरुआत हो जाती है। वैसे तो हिंदू नव वर्ष बहुत प्राचीन काल से चलता आ रहा है, लेकिन कहा जाता है कि करीब 2057 ईसा पूर्व विश्व सम्राट विक्रमादित्य ने नए सिरे से इसे स्थापित किया, जिसे विक्रम संवत कहा जाता है। इस विक्रम संवत को पूर्व में भारतीय संवत का कैलेंडर भी कहा जाता था, लेकिन बाद में इसे हिंदू संवत का कैलेंडर के रूप में प्रचारित किया गया।
कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य के काल में भारतीय वैज्ञानिकों ने हिंदू पंचांग के आधार पर भारतीय कैलेंडर बनाई थी। इस कैलेंडर की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से मानी जाती है। ईसवी पूर्व इसको शुरू करने वाले सम्राट विक्रमादित्य थे इसीलिए उनके नाम पर ही इस संवत का नाम है।क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा का पर्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, गुड़ी पड़वा के दिन प्रभु श्रीराम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत में रहने वाले लोगों को उसके आतंक से मुक्त करवाया था। इसके बाद यहां की प्रजा ने खुश होकर अपने घरों में विजय पताका फहराई थी, जिसे गुड़ी कहा जाता है। आप सभी जिले एवं नगर वासियों को गुड़ी पाड़वा की हार्दिक बधाईया एवं सुभकामनाये।