वास्तु द्वारा कैसे बने संपन्न जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा जी से की क्यों जलाशय है महत्वपूर्ण 

RAKESH SONI

वास्तु द्वारा कैसे बने संपन्न जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा जी से की क्यों जलाशय है महत्वपूर्ण 

वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल 

कोलकाता। वास्तुशास्त्र में भूमिगत जल का अत्यधिक महत्व है। इस महत्व को महाभारत की एक महत्वपूर्ण घटना से समझा जा सकता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्रप्रस्थ में पाण्डवों के महल के निर्माण के लिए मयासुर की सेवाएँ लीं। महल के मध्य में जलाशय जैसी रचना कराई। इस प्रकार न केवल वह रचना मध्यप्लवा हो गई बल्कि ब्रह्म स्थान में जल होने के वास्तुदोष से भी पीड़ित हो गई। जब कौरवों ने यह महल पाण्डवों से जीत कर अपने आधिपत्य में ले लिया तब वास्तुदोष के प्रभाव के कारण वह धीरे-धीरे विनाश को प्राप्त हुए।

भूमिगत जलाशय, भूमि के अंदर स्थित ऊर्जा चक्र को प्रभावित करते हैं और जैसे ही जल का भूमि से संबंध स्थापित हुआ तीव्र क्रिया सामने आती है। यदि जल पात्र सीमेंट जैसी वस्तु का बना हुआ हो तो ऊर्जा या विद्युत का सुचालक होने के कारण इनके परिणाम तीव्र गति से आते हैं। 

वराहमिहिर ने विभिन्न दिशाओं में जलाशय होने के परिणाम बताये हैं । जहा एक तरफ ईशान कोण में जल साधन संपन्नता देने वाला होता है वही दुसरी तरफ पूर्व दिशा में जलाशय होने से पुत्र संतान के लिए शुभ स्थिति नहीं रहती तथा पड़ोसियों की ईर्ष्या कई बार दुखों का कारण बनती है। आग्नेय कोण में जलाशय कम उम्र में संतान की मृत्यु तक देखने को मिलती है। दक्षिण दिशा में भूमिगत जलाशय घर की स्ति्रयों के लिए विनाश का कारण बनते हैं। नैर्ऋत्य कोण में जलाशय होने से व्यक्ति के शत्रुओं में वृद्धि और उनसे भय भी रहता है। पश्चिम दिशा का जलाशय धन व समृद्धि की वृद्धि करता है।वायव्य कोण में स्थित जलाशय निर्धनता और रोग देने वाला होता है। उत्तर दिशा में स्थित जलाशय श्रेष्ठ परिणाम देता है। 

निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि जिस व्यक्ति को जल्दी संपन्नताजनित वृद्धि चाहिए उन्हें जलाशय सही दिशा में बनाना चाहिए। 

 

नगर और राष्ट्र में जल का प्रभाव-

नदियों की स्थिति सारे राष्ट्र के जीवन को प्रभावित करती है। जिन शहरों से बीचों-बीच से नदी गुजरती है तो उन शहरों में प्राकृतिक आपदाएं आती है और शहर नष्ट हो जाते हैं। जर्मनी में मैंज शहर राइन नदी के बीचों-बीच गुजरने के कारण द्वितीय विश्व युद्ध में बमबारी का शिकार हुआ और बर्बाद हुआ। इराक का बगदाद शहर टिगरिस नदी बीचों-बीच में बहने के कारण अमेरिकी बमबारी का शिकार हुआ और भारी नुकसान हुआ। चित्तौड़गढ किले और शहर के बीच में नदी बहने के कारण मुगलों ने उस पर भारी बमबारी की। हिरोशिमा और नागासाकी की तरह ही वर्तमान में जिन शहरों में परमाणु रिएक्टर में विस्फोट हुए उन सबके बीच में जल प्रवाह थे जो कि समुद्र तक गए थे।

दुबई के ईशान कोण में शानदार जल साधन तो हैं ही, ईशान कोण बढ़ा हुआ भी है। जिन देशों के पश्चिम तट पर वरुण देवता का वास है वहां अत्यधिक समद्धि आई है। एक ही देश के पूर्वीतट और पश्चिमी तट दोनों पर जल होने के बाद भी वहां समृद्धि ज्यादा आई है जहां पर पश्चिमी तटों पर शहर बसे हुए थे।

राजस्थान में चम्बल नदी का प्रभाव दक्षिण से उत्तर की ओर है और यह नदी उत्तर में जाकर यमुना से मिल जाती है। भरतपुर, धौलपुर, कोटा व मध्यप्रदेश के भिंड और मुरैना मिलाकर चंबल का प्रवाह क्षेत्र दस्यु गढ़ हो गया है और इस क्षेत्र की अपराध दर बहुत ऊंची है। उत्तर से दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम की ओर के प्रवाह ने एक ओर शिवालिक पहाड़ियां या हिमालय क्षेत्र को आध्यात्म में अत्यंत उन्नत कर दिया है तो दूसरी तरफ दक्षिण से उत्तर की ओर बहने वाली चंबल ने अपराध दर अत्यधिक बढ़ा दी है। अतः जल राष्ट्र के उत्थान या पतन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण कारक है।

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