उत्कल घासी समाज उत्थान समिति सारणी जिला बैतूल ने 75 वें गणतंत्र दिवस पर्व को धूमधाम से मनाया
सारणी। प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी उत्कल घासी समाज उत्थान समिति सारणी जिला बैतूल मध्य प्रदेश सामाजिक संगठन द्वारा बड़े धूमधाम के साथ 26 जनवरी गणतंत्र दिवस का पर्व मनाया गया ।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर समाज के वरिष्ठ अध्यक्ष श्री परमानंद सिंदूर एवं श्री युवा अध्यक्ष श्री अमित सिंदूर के द्वारा ध्वज पूजन एवं ध्वजारोहण किया गया और समाज के सदस्यों ने राष्ट्रगान गाकर तिरंगा झंडा को सलामी दी।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रदेश अध्यक्ष एवं संस्थापक सदस्य श्री रंजीत डोंगरे ने उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था और तब से हम सब इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
जब हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ तो उस समय भारत के पास अपना कोई संविधान नहीं था। बाद में डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व में भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया गया।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था और तब से हम सब इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। जब हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ तो उस समय भारत के पास अपना कोई संविधान नहीं था, लेकिन बाद में काफी विचार-विमर्श के बाद डॉ. बीआर अंबेडकर के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया और भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया गया। भारतीय संविधान के इस मसौदे को विधान परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया गया और 26 नवंबर 1949 में इसे अपनाया गया, लेकिन 26 जनवरी 1950 में इसे प्रभावी रूप से लागू किया गया।
यह दिन हमें भारत गणराज्य की स्थापना की याद दिलाता है। इस दिन हम उन महापुरुषों को भी याद करते हैं, जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलवाने और भारतीय संविधान को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनकी बदौलत ही भारत आज एक गणराज्य देश कहलाता है। हमारे महान भारत स्वतंत्रता सेनानियों आदि ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
इस वर्ष हम 75वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं। भारतीय संविधान की शक्तियों के कारण ही हम देश में अपने पसंद का प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं को चुन सकते हैं। हमारे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत में “पूर्ण स्वराज” के लिए 200 वर्षों से भी अधिक समय तक संघर्ष किया है। उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि उनकी आने वाली पीढ़ियां किसी की गुलाम बनकर न रहे और स्वतंत्र रूप से अपने अधिकारों का निर्वहन कर सके।स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय ध्वज फहराया।26 जनवरी गणतंत्र दिवस में हमारे संविधान लागू होकर लोकतांत्रिक व्यवस्था प्रारंभ हुई थी एवं पूरे भारतवर्ष को एक माला में पिरोने का काम संविधान के आधार पर किया गया और सन 1950 में गणतंत्र दिवस के रूप में 26 जनवरी को तिरंगा झंडा फहराया गया देश में एकता अखंडता प्रभुता के साथ सभी सामाजिक धार्मिक शिक्षा महिला पुरुष सभी को सुरक्षा सामान्य आदि अधिकार ऑन को न्याय के रूप से दिया गया उन्होंने कहा कि समाज में ऐसे राष्ट्रीय कार्यक्रम होने से समाज के लोगों में जागरूकता आई है और देशभक्ति की ओर युवा बच्चे महिलाएं सभी लोग जोड़ते हैं अपने वीर शहीदों के शहादत के साथ यह देश की आजादी मिली है।जिसे हम तिरंगे झंडे की आन बान शान को फहराकर अपने शहीद बल सहित बलिदानों को याद करते हुए तिरंगे की रक्षा करते भारत माता को परम वैभव पर ले जाने के लिए हम सब मिलकर कार्य करेंगे कार्यक्रम का संचालन संस्थापक सदस्य एवं पूर्व सचिव श्री निराकार सागर ने किया और देश भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी । इस अवसर पर संस्थापक सदस्य पूर्व कोषाध्यक्ष संस्थापक श्री सत्यवान डोंगरे संस्थापक सदस्य कोषाध्यक्ष श्री चंद्रकांत सोनी उपाध्यक्ष धनवंत सिंदूर तीरनाथ सिंदूर श राकेश डोंगरे, रवि सिंदूर , राकेश सोनी सुंदरम नागेश , सत्यम नागेश श्री कनिष्क नायक श्री आनंद सिंदूर अर्जुन सिंदूर , श्री उत्तम सोना प्रहलाद सिंदूर प्रकाश सिंदूर अश्वत्थामा सिंदूर सस बिंदु डोंगरे छविराम डोंगरे आशीष डोंगरे महिला समिति अध्यक्ष माधवी सिंदूर कार्यकारी अध्यक्ष श्रीमती सयोगिता सागर सचिव श्रीमती निशा महानंद उपाध्यक्ष काजल डोंगरे सह सचिव चांदनी डोंगरे लता डोंगरे आरती डोंगरे हर्षिता डोंगरे अंजलि नागेश पुष्पा सोनी शोभा सिंदूर रेनू सिंदूर ललिता सिंदूर अनीता सिंदूर काजल डोगरे निशा महानंद बेलगांव नागेश श्रेया डोंगरे समाज के अन्य लोग भारी संख्या में उपस्थित थे।