देवारण्य योजनान्तर्गत जिले के 130 कृषकों को आंवले के पौधे वितरित किये
पौधों को रोपित करने का प्रशिक्षण दिया

बैतुल। मध्यप्रदेश शासन की देवारण्य योजना के अन्तर्गत गुरूवार को भारत भारती शिक्षा समिति द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें डाबर कंपनी के सीएसआर सौजन्य से प्राप्त आंवले के पौधे और गुडुची की कलमों का वितरण किया गया। इस अवसर पर भारत भारती शिक्षा समिति के सचिव श्री मोहन नागर द्वारा कार्यक्रम के सम्मिलित ढोढरामोहाड, बाचा, खदारा, केवलाझिर, बज्जरवाड़ा आदि ग्रामों से 130 किसानों को 3250 आंवले के पौधों का वितरण किया गया और कृषि विशेषज्ञ श्री विनोद तहकीत, श्री नर्मदाप्रसाद भोपते ने आंवले के पौधों और गुडूची की कलम लगाने का प्रशिक्षण भी दिया गया।
इस एक दिवसीय कार्यशाला में आदिवासी किसानों को देवारण्य योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही कार्यशाला में उपस्थित प्रत्येक किसान को जैविक खाद की बोरियां निशुल्क प्रदान की गई। कार्यक्रम में विद्या भारती जनजाति शिक्षा के राष्ट्रीय सहसंयोजक श्री बुधपाल सिंह ठाकुर ने कहा कि वर्तमान समय में शासन की विभिन्न योजनाएं भी हमारे साथ इस कार्य में सहभागी हो रही हैं। आयुष मंत्रालय प्रदेश के किसानों को औषधीय खेती के नये अवसर प्रदान कर रहा है जिससे हम सुखी और निरोग समाज के निर्माण में भागीदार बनेंगे।
कार्यक्रम के संयोजक और भारत भारती शिक्षा समिति के सचिव श्री मोहन नागर ने संबोधित करते हुए कहा कि आयुष मंत्रालय और म.प्र. शासन की देवारण्य योजना के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि अब दवाइयों के लिए हमें प्रयोगशालाओं पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। अब ग्राम का सामान्य किसान अपने खेतों में औषधीय पौधों की खेती करेगा और इसे अपनी आजीविका का साधन भी बनायेगा। आज हम इस योजना का प्रारंभ आंवले के पौधों के वितरण से कर रहे हैं। आगे चलकर देवारण्य योजना का लाभ संपूर्ण जिले को मिलेगा। जिले से उत्पादित औषधीय पादपों का विपणन देश की बड़ी औषधीय निर्माता कंपनियों के माध्यम से किया जायेगा, जिससे हमारे जिले का किसान आर्थिक रूप से सबल बनेगा। इस योजना का विस्तार करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग वन विभाग को भी इस क्षेत्र में जोड़ा गया है।
जिला आयुष अधिकारी डॉ. ए.एम. बर्डे ने इस अवसर पर कहा कि औषधीय पौधे हमारी प्राचीन स्वास्थ्य, सुरक्षा, परम्परा के प्रमुख आधार संसाधन हैं। औषधियों के लिए वनस्पति आधारित कच्चे माल की लगातार उपयोगिता से इनकी कई प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं। इस योजना के सफ ल क्रियान्वयन से औषधीय पौधों का संरक्षण एवं संवर्धन संभव हो सकेगा। कार्यक्रम का संचालन ग्राम बाचा के श्री अनिल उइके ने किया।