तवा खदान के पंप हाउस पर चोरों ने बोला धावा।
काट ले गए कीमती आर्मर्ड केबल, पंप हाउस बंद होने से बंद हो गई कंटीन्यूअस माइनर।
प्रभावित हुआ सैकड़ों टन कोयला।
सारनी:-डब्ल्यूसीएल कि कोयला खदानों में एक बार फिर चोरों ने आतंक मचाना शुरू कर दिया है। बीती रात तवा-वन और तवा-टू खदान के पंप हाउस पर अज्ञात इसके चोरों ने धावा बोलकर 25 मीटर से अधिक 19-50 स्क्वायर आर्मर्ड केबल पर हाथ साफ कर दिया। इस वारदात से खदान प्रबंधन को जहां करीब 50 हजार रुपए का नुकसान हुआ। वहीं कंटीन्यूअस माइनर बंद होने से कोयला उत्पादन प्रभावित हो रहा है। बताया जा रहा है की तवा 1 खदान के पंप हाउस से तवा टू खदान में संचालित कंटीन्यूअस माइनर को पानी सप्लाई होता है और इसी पानी से मशीन संचालन की जाती है। पंप हाउस का केबल चोरी होने से वाटर सप्लाई पूरी तरह बंद हो गई। साथ ही तीन मोटर भी बंद होने से खदान के भीतर का पानी भी बाहर नहीं निकाला जा रहा। खदान प्रबंधन से प्राप्त जानकारी के अनुसार चोरी की वारदात रविवार शाम की है। जबकि रात 9:15 बजे और रात 3:15 बजे पुनः चोरों की टीम पंप हाउस पर पहुंची थी। लेकिन यहां पेट्रोलिंग टीम और सुरक्षा गार्ड तैनात होने की वजह से चोर भाग निकले।
यह है पूरा मामला –
वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड पाथाखेड़ा की खदानों, सुरक्षा बेरिया और पंप हाउस में इन दिनों अवकाश के दिन कर्मचारियों की ड्यूटी नहीं लगाई जा रही। इसी का फायदा उठाकर चोरों ने पंप हाउस पर धावा बोलकर कीमती स्पेयर पार्ट्स और केबल पर हाथ साफ कर दिया। खास बात यह है कि गार्ड तैनात नहीं करने की वजह से इसे कंपनी अपनी ही गलती मान रही है। इसीलिए इसकी सूचना पुलिस को भी नहीं दी गई। नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि कंपनी प्रबंधन चाहकर भी इस मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज नहीं करा रही। हालांकि 3 बोर के पंप और कंटीन्यूअस माइनर बंद होने से कोयला प्रबंधन इस तरह की बढ़ती वारदात से काफी चिंतित है।
लाखों का नुकसान –
पाथाखेड़ा के तवा वन और तवा टू खदान के पंप हाउस में हुई चोरी से कंपनी को लाखों का नुकसान हुआ है। हालांकि कंपनी सिर्फ केबल चोरी होने को ही नुकसान मान रही है। जबकि सोमवार को पंप हाउस में नए केबल लगाने से लेकर कार्य में करीब डेढ़ दर्जन अधिकारी कर्मचारी जुटे रहे। जिनकी 1 दिन की मजदूरी तीन से चार हजार रुपए हैं। वहीं दिन भर कंटीन्यूअस माइनर बंद रहने से सैकड़ों टन कोयला उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसे भी नुकसान माना जा सकता है।लेकिन खदान प्रबंधन अपनी लापरवाही को बचाने इस वारदात से ज्यादा नुकसान होना नहीं मान रही।