शिव पार्वती विवाह के साथ हुई पांचवें दिन की कथा
घोड़ाडोंगरी। माता सती के सती होने के पश्चात हिमालय पुत्री पार्वती के साथ आज शिव पार्वती विवाह संपन्न हुआ
पंडित शास्त्री जी ने बताया की कैसे पहले मां सती और शिव का विवाह हुआ मां सती के पिता दक्ष द्वारा यज्ञ कराया गया जिसमें सभी देवताओं के बैठने का स्थान बनाया गया किंतु भगवान शिव के बैठने का स्थान नहीं बनाया गया जिससे मां सती को इसमें अपने पति का अपमान महसूस हुआ
और इस यज्ञ में मां सती सती हो गई मां पार्वती की माता मैना देवी द्वारा देवी जी की उपासना की गई जिसमें माता पार्वती को अपने पुत्री के रूप में मांगा गया तब हिमालय और मैना देवी की पुत्री के रूप में माता पार्वती का जन्म हुआ जबकि माता पार्वती भगवान शिव के लिए ही उत्पन्न हुई थी और यही विधि का विधान था जिसके फल स्वरुप माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ पंडित शास्त्री जी ने बताया कि भगवान शिव की कथा उन्हीं लोगों को सुनने को मिलती है जिनके पिछले जन्म के पुण्य इस जन्म में सामने आते हैं कॉल की गति भी आकर रुक जाती है तब भी भगवान शिव की कथा सुनने से कोई नहीं रोक सकता आज पांचवे दिन की कथा मैं हजारों की संख्या में शिव भक्त शामिल हुए पिपलेश्वर महादेव सेवा समिति के सदस्यों द्वारा पहले से ही भगवान शिव की बारात झांकी साज सज्ज़ा का इंतजाम कर रखा था जिसमें शिव पार्वती की झांकी बनाई गई साथ ही मंदिर में विराजे भगवान पिपलेश्वर को भी दूल्हे का स्वरूप दिया गया सभी भक्तों ने माता पार्वती की पर पूजा की कई प्रकार के दान पुण्य किए कथा पंडाल का माहौल देखकर पंडित कृष्ण से शास्त्री जी महाराज भी बहुत प्रसन्न हुए