कंपनी कार्मिकों से किराया पूरा लेती है, मेनटेनेनस करना भूल जाती है।
सारनी:- मध्यप्रदेश पावर जनरेटिग कंपनी लिमिटेड के सतपुड़ा ताप विद्युत गृह के आवासों का रख रखाव सिविल डिवीजन को करना पड़ता है । सतपुड़ा ताप विद्युत गृह के आवास जो कि 1970 के दशक के बने हैं। 1982 के बने आवास जिनका मेजर संधारण कार्य कराने के लिए भी 25 साल हो गए हैं। 1988 मे आवंटित आवासों की हालत बदतर हो रही है। सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार सिविल विभाग जितनी मात्रा में काम की अनुमति जबलपुर मुख्यालय से मांगता है, उसमें भी कम कर दी जाती है। सिविल विभाग जबलपुर के मुख्यालय में बैठे अधिकारियों को कोई मतलब नहीं है। कर्मचारी अधिकारी रात दिन बिजली उत्पादन मे लगे हैं। लेकिन बरसात में सो नहीं पाता है । सिविल विभाग के अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता। यहां तक कि ठेकेदार के मजदूर कर्मचारीयो के यहाँ काम करते हैं, तभी साहब का फोन आता है, काम छोड़ कर साहब के घर काम होता है। शिकायत करते रहो साइड आफिस के इन चार्ज भी परेशान है। सीमेंट के काम का ठेका नही है । स्थानीय सिविल विभाग भी जानता है कि आवास 40 वर्ष पुराने है। जरा सी बरसात होती है छत टपकने लगती है, करते रहो कंपलेट । घास सफाई, सेनिटेशन के ठेके बराबर होते हैं। क्योकि हींग लगे न फिटकरी, काम चोखा कहावत सही हो रही है । मुख्य अभियंता मानव संसाधन एवं प्रशासन ने 2018 मे आदेश जारी कर किराया बढाया है, उन आवासों का जो जर्जर हो रहे हैं । सुपर डी आवास का एक वर्ष का किराया 5700/- है। उतना भी संधारण कार्य पर खर्च करे तो आवास की सुरक्षा भी होगी और कर्मचारी भी छतों पर प्लास्टिक लगाने से बच जायेंगे ।