Sarni samachar: प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र पहलवान को दी श्रद्धांजली । काश प्रथम हिंद केसरी उत्तर भारत से होते -अंबादास सूने।

RAKESH SONI

Sarni samachar: प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र पहलवान को दी श्रद्धांजली । काश प्रथम हिंद केसरी उत्तर भारत से होते -अंबादास सूने।

सारनी। काश रामचंद्र पहलवान पंजाब,दिल्ली या हरियाणा का नेतृत्व करते तो आज उनका कद बहुत उंचा होता । पहले हिंद केसरी का सम्मान मध्यप्रदेश को दिलाने वाले रामचंद्र पहलवान जीवन के आखिर समय तक उपेक्षित रहे , सरकार ने वह मान सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे। जिस पर देश को नाज था मध्यप्रदेश ने उन्हे भुला दिया।”जब तक खिलाडी अपने श्रेष्ठ फार्म में रहता है। चारो ओर वाह वाही होती है। लेकिन उम्र के पड़ाव में उसे भुला दिया जाता है ” । यह वास्तविकता है। यह विचार स्व रामचंद्र पहलवान ने 2010 में हिंद केसरी हरिश्चंद्र बिराजदार के निधन पर व्यक्त किए थे। रामनवमी के दिन 10 अप्रैल 1932 को बुरहानपुर में जन्मे रामचंद्र पहलवान को कुश्ती विरासत में मिली थी। अपने पिता को गुरू मान कर कुश्ती के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले रामचंद्र पहलवान को घनश्याम काका भी सहयोग मिला । 1जून 1958 को हैदराबाद के गोशा महल स्टेडियम में भारतीय कुश्ती के लिए प्रथम हिंद केसरी खिताब के कुश्ती का आयोजन किया गया। इस कुश्ती में रामचंद्र पहलवान ने सेना के हेवीवेट चैम्पियन ज्ञानीराम को सात मिनट में हराकर दिन में तारे दिखाने वाले रामचंद्र पहलवान शुध्द शाकाहार के समर्थक रहें है। सन 1982 में नई दिल्ली में नवम एशियाई खेलो में रामचंद्र पहलवान को विशेष रूप से आंमत्रित किया गया। जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सम्मानित किया। 1984 में एक पत्र प्रधान मंत्री कार्यालय से मध्यप्रदेश शासन के पास पहुंचा। जिसमे प्रथम हिंद केसरी रामचंद्र पहलवान को 50 से 100 एकड कृषि योग्य जमीन निशुल्क देना थी। लेकिन राजनीती के कारण मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी कुछ नहीं किया। 1984 में केंद्र सरकार ने की घोषणा आज तक पुरी नहीं हुई। स्व रामचंद्र पहलवान के 1982 से सहयोगी रहे अंबादास सूने ने बताया कि सन 1978 में जनता पार्टी की सरकार नें दस हजार रुपए का सहयोग प्रदान किया। सन 1987 में भी कांग्रेस सरकार ने दस हजार रुपए का आर्थिक सहयोग प्रदान कर इतिश्री कर ली। परंतु 50-100 एकड जमीन नहीं दी। जबकि राजस्व विभाग ने प्रयास भी किये। सन 2011 में शिवराज सिंह चौहान मुख्य मंत्री ने दो लाख रुपए अनुदान स्वरूप प्रदान किये। समय समय पर समाचार पत्रो में रामचंद्र पहलवान को पेंशन, कृषि योग्य भूमि और खेल सम्मान की मांग की जाती रही है। रामचंद्र पहलवान स्वयं कांटा कुश्ती के समर्थक रहे है।नेपा मिल में वेल्फेयर सुपरवाइजर के पद से जून 1992 मे सेवानिवृत्त हुए। श्रीराम मंदिर पर एक व्यायाम शाला है जहां से अनेक पहलवान निकले हैं। मदन पहलवान,मोहन पहलवान,मदन लहिरी, शंकर पहलवान ने कुश्ती के क्षेत्र में नाम कमाया है। 20 दिसंबर सन 1998 को रामचंद्र पहलवान राज्य स्तरीय कुश्ती के निर्णायक के लिए सारनी आना हुआ था , उस समय भी रामचंद्र पहलवान को नेपानगर के निवासियो ने मान सम्मान दिया था। 20 अप्रैल शनिवार को नेपानगर में रामचंद्र पहलवान ने 92 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। श्रध्दांजलि कार्यक्रम में सामाजिक बंधुओ के अतिरिक्त मोहन पहलवान,खरगोन से पत्रकार निरंजन स्वरूप गुप्ता, राजेश शाह, पांचजन्य प्रतिनिधी अंबादास सूने, रामचंद्र पहलवान के पुत्र राजेन्द्र, महेंद्र,अजय,विजय और सुनील केसरी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित हुए।

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