रुद्राक्ष और स्वास्थ – जानते है डॉ सुमित्रा जी से
सिटी प्रेसीडेंट इंटरनेशनल वास्तु अकादमी
कोलकाता। रुद्राक्ष भारतीय संस्कृति का एक पवित्र पहलू है और इसमें धार्मिक पक्ष और चिकित्सा पक्ष दोनों ही है। रुद्राक्ष धारण करने से स्नायु पर गहरा प्रभाव पड़ता है। “मुखियों” की संख्या के आधार पर रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं और उनकी सतह पर दरारें और खांचे होते हैं।
रुद्राक्ष कौन धारण कर सकता है
एक मुखी रुद्राक्ष (एक मुखी):
यह मानसिक चिंता, टी.बी., पक्षाघात, स्ट्रोक, आंखों की समस्या, हड्डियों के दर्द, हृदय की समस्याओं, पुराने अस्थमा और सिर दर्द से लड़ने में मददगार पाया गया है।
दो मुखी रुद्राक्ष (दो मुखी):
तनाव, चिंता, एकाग्रता की कमी, अवसाद, नकारात्मक सोच, नपुंसकता, गुर्दे की विफलता, आंखों की समस्याओं, हिस्टीरिया और आंतों के विकार में प्रभावी है ।
तीन मुखी रुद्राक्ष (तीन मुखी):
रक्तचाप, बुखार या कमजोरी, पीलिया, डिप्रेशन, सिज़ोफ्रेनिया, ब्लड सर्कुलेशन, खांसी और दिमाग से जुड़ी बीमारी, अस्थमा, संकोच, याददाश्त कमजोर होना और सांस की पट्टी की समस्याकमजोरी बहुविध, मासिक धर्म चक्र का निर्देश / मासिक धर्म तनाव, फिक्सेशन या अपराध बोध प्रेरित परिसरों और मानसिक विकलांगता।
पंच मुखी रुद्राक्ष (पांच मुखी):
मोटापा, क्रोध प्रबंधन, मधुमेह, बवासीर, रक्तचाप, हृदय की समस्याएं, तनाव, मानसिक विकलांगता, न्यूरोटिक और कुसमायोजन की समस्याएं।
छय मुखी रुद्राक्ष (छः मुखी):
मिर्गी और स्त्री रोग संबंधी समस्याओं से लड़ने में मदद करता है।
सात मुखी रुद्राक्ष (सात मुखी):
नपुंसकता, पैरों से संबंधित रोग, अस्थमा, ग्रसनीशोथ और भ्रम।
दस मुखी रुद्राक्ष (दस मुखी):
शरीर में हार्मोनल असमानता, मानसिक असुरक्षा और काली खांसी।
ग्यारा मुखी रुद्राक्ष (ग्यारह मुखी):
पीठ दर्द, शरीर दर्द, पुरानी बीमारी और यकृत रोग।
बरह मुखी रुद्राक्ष (बारह मुखी):
रिकेट्स, ऑस्टियोपोरोसिस, हड्डी रोग, मानसिक विकलांगता और चिंता।
तेरह मुखी रुद्राक्ष (तेरह मुखी):
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
चौदह मुखी रुद्राक्ष (चौदह मुखी): मस्तिष्क संबंधी रोग।
पन्द्रह मुखी रुद्राक्ष (पंद्रह मुखी):
चर्म रोग, बार-बार गर्भपात और मृत शिशु का जन्म।
सोलह मुखी रुद्राक्ष (सोलह मुखी):
कुष्ठ रोग और फेफड़ों के रोग
सतरह मुखी रुद्राक्ष (सत्रह मुखी):
स्मृति हानि और शरीर के कार्यात्मक विकार
अठारह मुखी रुद्राक्ष (अठारह मुखी ):
मानसिक संतुलन में शाहयक होता है।
उनीस मुखी रुद्राक्ष (उन्नीस मुखी):
रक्त विकार और रीढ़ की हड्डी के विकार में लाभ दायक।
गौरी शंकर / शिव और पार्वती:
यौन और व्यवहार संबंधी विकार के लिए बहुचर्चित ।
गणेश रुद्राक्ष / गर्भा – गौरी / पारवती और गणेशा :
स्त्री रोग संबंधी विकार
त्रिजुटी /त्रिभाग :
आंतरिक और बाहरी शरीर विकार के लिए पहना जाता है।