सावन में करे शिव पुराण का पाठ जानते है वास्तु शास्त्री सुमित्रा से 

RAKESH SONI

सावन में करे शिव पुराण का पाठ जानते है वास्तु शास्त्री सुमित्रा से 

कोलकाता। शिव पुराण १८ पुराणों में से एक है, जिसमें भगवान शिव की लीला कथाओं और इनकी पूजा विधि सहित शिवलिंग की उत्पत्ति और शिव भक्ति से संबंधित कथाएं हैं। शिव पुराण का पाठ कभी भी शुभ मुहूर्त में आयोजन कर सकते हैं। लेकिन सावन के महीने में शिव पुराण को पढना और सुनना बहुत ही पुण्यदायी होता है। शिव पुराण में भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया गया है। भगवान शिव की महिमा का गुणगान कई प्राचीन भारतीय ग्रंथों में देखने को मिलता है लेकिन शिव पुराण में उनके जीवन पर गहराई से प्रकाश डाला गया है। शिव पुराण में उनके जीवन, विवाह, संतान, रहन-सहन आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। शिव पुराण में ६ खंड और २४००० श्लोक हैं। 

 

भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है और उनकी कृपा मात्र से भक्तों के कई कष्टों का निवारण हो जाता है। शिव भगवान की महिमा को पढ़ने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं।

-शिव पुराण का पाठ करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है।

-इस पुराण का पाठ करने से व्यक्ति को भोग और मोक्ष दोनों की ही प्राप्ति होती है।

-यदि आप अपने पापों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शिव पुराण का पाठ सबसे ज्यादा लाभकारी है।

-सावन के महीने में शिव पुराण का पाठ करने से जीवन के सब दुखों से मुक्ति मिलती है।

-शिव पुराण का पाठ करने से इंसान को मृत्यु का भय नहीं सताता और मृत्यु के बाद ऐसे व्यक्ति को शिव के गण लेने आते हैं।

-मानसिक शांति की प्राप्ति के लिये भी शिव पुराण का पाठ किया जाता है।

भगवान शिव के भक्तों के लिये शिव पुराण का बड़ा महत्व है। इस पुराण में शिव जी को वात्सल्य, दया और करुणा की मूर्ति के रुप में महिमामंडित किया गया है। इस पुराण का पाठ करने से भक्तों के अंदर भी ऐसे ही गुणों का संचार होता है। हिंदू धर्म में शिव पुराण को बहुत अहम माना जाता है।

शिव महापुराण का पाठ करते समय इन बातों का रखें ध्यान

शिव पुराण का पाठ करने के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य है। पाठ को शुरु करने से पहने आपको स्वच्छ जल से नहाना चाहिये और साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिये। अपने नाखून-बाल आदि को भी साफ करना चाहिये। जब तक आप शिव पुराण का पाठ कर रहे हैं तब तक आपको भूमि पर सोना चाहिये। मांस-मदिरा का सेवन भी वर्जित है। कथा के संपन्न होने के बाद आपको शिव परिवार की पूजा करनी चाहिये।

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