संविधान दिवस पर पाथाखेड़ा फुटबॉल ग्राउंड में जनजागृति का आयोजन हुआ संपन्न

सारणी। पाथाखेड़ा के फुटबॉल ग्राउंड मैं संविधान दिवस पर सविधान जनजागृति समिति के आयोजन मैं हजारों लोगों ने उपस्थित हो कर सविधान के विषय पर वक्तावो के उदबोधन को सुना । कार्यक्रम मैं सबसे पहले महापुरुषों पर आधारित कवाली की प्रस्तुति के साथ सविधान की प्रस्तावना के साथ शपथ लेते हुए आये हुए वक्तावो ने उपस्थित लोगों को संविधान के विषय जानकारी दी वक्ता ने कहा आजादी के 75 सालों बाद भी पिछड़ी जातियों (ओबीसी / एससी / एसटी) को संख्यानुपात में सभी क्षेत्रों में आरक्षण नहीं मिल पाया है। जंगली जानवरों की गिनती की जाती है लेकिन काका कालेलकर कमीशन और मंडल कमीशन की सिफारिशों के बावजूद पिछड़े वर्गों जातिगत जनगणना नहीं कि जा रही है। 1932 की अंतिम जनगणना के अनुसार देश की लगभग 52 प्रतिशत आबादी ओबीसी है जिसे आज तक आबादी के अनुपात में आरक्षण हासिल नहीं हुआ है।लेकिन 12 प्रतिशत सवर्णों ने चालाकी पूर्वक अपने लिये अपने लिये EWS के नाम पर 10 प्रतिशत आरक्षण हासिल कर लिया है। बाबासाहब अम्बेडकर के प्रयासों के चलते ही संविधान की अनुच्छेद 340 में ओबीसी वर्ग की पहचान कर उनकी गिनती और उनको संख्या के अनुपात में आरक्षण का प्रावधान किया गया था जो आज तक उन्हें नहीं मिल पाया है। आज पिछड़ी जातियों का हक़ मारा जा रहा है। विजय सेनआजम खान (एडवोकेट), मेंबर ए पी सी आर, भोपाल आयोजक और उपस्थित साथियों का शुक्रिया, कोई भी व्यक्ति कहता हे के वो संवैधानिक समीक्षा चाहता है उसका शैक्षिक स्तर देख लीजिए। जबकि बाबा साहब के पास ४ पीएचडी है अब आप तय कीजिए। बाबा साहब और भारत का संविधान एक दूसरे पर्यायवाची है इसमें कोई शक सुबाह नही होना चाहिए। हमारे बाबा साहब ने देश के मूल्यों को महसूस किया और संविधान के मूल्यों का आधार बनाया और वो मूल्य कौन से है स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा । अभी हम अपने संविधान की ताकत एनआरसी के समय देख चुके है जब मुस्लिम समुदाय संविधान लेकर अपनी रक्षा कर दिखा दिया आपकी आस्था कुछ भी हो सुरक्षा केवल संविधान से है। हमारा बाबा साहब का रिश्ता दर्द का है जो सच्चा है जो साबित है और हमारी विरासत है। साथ ही भोपाल मैं शुरू हुए संविधान जागरूकता अभियान मैं अपना योगदान दें।एक राष्ट्र के रूप में हमारी सबसे बड़ी उपलब्धियों में संविधान हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।लोकतन्त्र ने व्यवस्था के खिलाफ अभिव्यक्ति की आज़ादी दी है, और अभिव्यक्ति की आज़ादी की रक्षा के लिए संविधान में स्वतंत्र न्यायपालिका का भी प्रावधान है,विविधता पूर्ण समाज में बिना स्वतंत्रता के एकता सम्भव नहीं है।इसलिए हमने संविधान स्वतंत्रता एवं समानता दोनो को अपनाया। इंदु चौधरी