राजनीति से प्रेरित है बन्द का आवाहन = काली माई व्यापारी संघ।
व्यक्तिगत स्वार्थ,राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए बंद का आह्वान:- देवेन्द्र सोनी
सारनी। शहर बचाओ नगर बचाओ समिती के आवहन पर 22,23 व 24 जुलाई को सारनी नगर के समस्त व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को बन्द रखने का आवहन किया है जो की सिर्फ पॉलीटिकल स्टंट के अलावा कुछ नही है बिना व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखकर तीन दिनो के बन्द का आवहन समझ से परेय है । उक्त उदगार कालीमाई व्यापारी संघ के सचीव देवन्द्र सोनी के है।
कालीमाई व्यापारी संघ के सचीव ने बताया की शहर बचाओ नगर बचाओ समिती , युवा संघर्ष मंच, के मध्यम से तीन दिवसीय बंद का आवाहन सारणी के अस्तित्व को बचाने क्षेत्र में 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल यूनिट एवं गांधीग्राम व तवा 2 कोयला खदान खोलने के लिए किया जा रहा है ।
ज्ञात हो की वेकोली की तवा 2 , गाधी ग्राम खदान खुलने की सारी प्रशासनिक अड़चनो को पुरा किया जा चुका है वही सारनी मे 660 मेगावाट की सुपरक्रिटिकल यूनिट की स्थापना के सार्थक प्रयास भी चालु है इसी क्रम में पर्यावरण संबंधित दावे आपत्ति का दौर भी चालु है वहीं सुखाढाना ने औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए अधोसंरचना विकास का कार्य प्रगती पर है सात करोड़ के टेंडर की प्रक्रिया होने के बाद काम भी युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। उसके बावजूद निश्चित रूप से सारनी में जल्द से जल्द वेकोली की भूमिगत खदान,सतपुड़ा ताप विद्युत केन्द्र की 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल यूनिट,सारणी को तहसील कार्यालय,सोलर विद्युत संयंत्र एवं सुखाढाना मे औद्योगिक क्षेत्र की सौगात मिलने वाली है क्षेत्र के सांसद दुर्गादास उईके, विधायक डाँ योगेश पंडाग्रे के नेतृत्व में सारनी का प्रतिनिधि मंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहन से मिला था उस वक्त मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संघर्ष समिति के संयोजक अरविंद सोनी से मुलाकात कर उन्हें आश्वस्त किया था द्वारा मै सारनी को उजड़ने नही दुंगा सारनी की समस्या मेरे संज्ञान में है सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास जल्द धरातल पर होगे । प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं क्षेत्र के सांसद विधायक क्षेत्र के विषय समय समय पर केन्द्र और राज्य सरकार के संज्ञान में ला रहे है जल्द क्षेत्र को कई नई सौगात मिलने वाली है जिसका श्रेय लेने के लिए सारनी के अंदोलन जिवियो में होड मची हुई है आंदोलन जीवियो द्वारा शहर में नकारात्मक माहौल फैलाकर व्यक्तिगत स्वार्थ और निजी हितो की पुर्ती के लीए बन्द का आवाहन किया गया है। बन्द शुद्ध रूप से व्यापारी संगठनों का होता तो उसको सर्मथन दिया जा सकता था किन्तु उक्त अन्दोलन के पिछे राजनीतिक हस्तक्षेप के साथ कुछ लोगो का निजी स्वार्थ निहीत है ऐसे लोग जिले के जनप्रतिनिधियों को अशोभनीय शब्दों का प्रयोग कर विकास के कार्यों में अड़ंगा लगाने का कार्य कर रहे है ऐसी परिस्थिति में बन्द का सर्मथन करना अबुद्धिमत्ता का परीचय के अलावा कुछ नही।