नया संसद भवन और वास्तु जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से
कोलकाता। जब भी कोई नव निर्माण होता है तो कई प्रकार के सवाल दिमाग में आते है। कहाँ बनाना है, लोकेशन का चयन किया जाता है फिर मौजूदा एरिया के हिसाब से निर्माण के विषय में प्लानिंग की जाती है। कितने वर्ग का प्लाट है, किस आकार का है, सामने कितनी चोडी सड़क है और प्लाट के कितनी तरफ रोड है। कितना वर्ग निर्माण करना है , कितना सेट बैक एरिया छोड़ना है, पार्किंग कहा बनाना है, प्लाट का मुख्य द्वार कहा बनाना है और भवन का मुख्य द्वार कहा होगा, एक से अधिक निकास होंगे की नहीं और होंगे तो कहा कहा होंगे, अंडरग्राउंड वाटर टैंक, सेवागे एरिया, वाटर फ़िल्टर प्लांट , जनरेटर, मीटर हाउस , कैफेटेरिया सब की जगह तय की जाती है और जब संसद जैसी ऐतिहासिक निर्माण की बात आते है तो और भी कई चीजों की स्थिति का चयन करना अनिवार्य हो जाता है।
पहले के वास्तु शास्त्री निर्माण देख कर हे बता देते थे की उस निर्माण की आयु कितनी होगी , १०० वर्ष होगी या नहीं , निर्माण उत्थान दिलाएगा या पतन।
संसद भवन का निर्माण नरेंद्र मोदी जी (सेंट्रल गवर्नमेंट )पर सबसे ज्यादा असर करेगा या अरविन्द केजरीवाल (मुख्य मंत्री ) या ओउम बिरला जी (स्पीकर महोदय ) या पुरे देश पर ये भविष्य ही तय करेगा परन्तु संसद में बिरला जी की ही चलती है तो वास्तु नियमो की माने तो उनपर इसका प्रभाव स्पस्ट रूप से सामने आएगा।
वास्तु में एनर्जी को बैलेंस किया जाता है। जैसे शरीर पाँच तत्व से निर्मित है वैसे हे ये ब्रह्मांड भी और निर्माण की वास्तु प्रिंसिपल की मेरु दंड भी ये पांच तत्व है।
ये वर्ष भारत के इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण है एक तरफ इसी वर्ष एक भव्य निर्माण नीता मुकेश अम्बानी कल्चरल सेंटर का निर्माण हुआ और इतना भव्य संसद भवन का भी निर्माण हुआ , इसी वर्ष देश में कई धार्मिक स्थलों का भी जीर्णोद्धार हुआ है।
पुराने पार्लियामेंट में लोक सभा ईस्ट से नार्थ ईस्ट के बिच में थी और नयी पार्लियामेंट में लोक सभा नार्थ से वेस्ट के बिच में है। पहले राज्य सभा साउथ में थी और अब साउथ और वेस्ट के बिच में है। पहले पार्लियामेंट गोलाई में था अब तिकोना। पार्लियामेंट के स्ट्रक्चर में कॉस्मिक एनर्जी को बढ़ाने के लिए ऐसा आकार दिया गया है। मुख्य द्वार की बात करे तो नव निर्माण वाले पार्लियामेंट में नार्थ का द्वार बहुत ही सुबह है अन्य सभी द्वार के रिजल्ट अच्छे नहीं है। हर द्वार अपने अनुरूप रिजल्ट देंगे। वास्तु नियमो की बात करे तो इस निर्माण में दुर्घटना की सम्भावना है खास तोर पर अग्नि से सम्बंधित दुर्घटना होने की संभावनाएं है।