मत्स्य द्वादशी आज सभी प्रकार के संकटों को दूर करती है मत्स्य द्वादशी।
धार्मिक। हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मत्स्य द्वादशी मनाई जाती है। मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी ने मत्स्य का अवतार लेकर दैत्य हयग्रीव का संघार करके वेदों की रक्षा की थी। इसी वजह से इस दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। मत्स्य अवतार श्रीहरि के प्रमुख अवतारों में से एक है। मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं।
मत्स्य द्वादशी का महत्व-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सृष्टि का आरंभ जल्द से हुआ है और आज के समय में भी जल ही जीवन है। इसलिए शास्त्रों में मत्स्य द्वादशी का विशेष महत्व माना जाता है।
भगवान विष्णु के 12 अवतारों में से प्रथम अवतार मत्स्य अवतार है। जिस वजह से मत्स्य द्वादशी बहुत ही शुभ और लाभकारी मानी जाती है।
मत्स्य द्वादशी के दिन श्रद्धा पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से भक्तों के सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं और उनके सभी कार्य सिद्ध होते हैं।
पूजन विधि-
मत्स्य द्वादशी के दिन चार भरे हुए कलश में पुष्प डालकर स्थापित करें। अब चारों कलश को तिल की घर खली से ढक कर इनके सामने भगवान विष्णु की पीली धातु की प्रतिमा की स्थापना करें।
इन चार कलशों की पूजा समुद्र के रूप में की जाती है। अब भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं।
केसर और गेंदे के फूल अर्पित करें। तुलसी के पत्ते चढ़ाएं। मिष्ठान का भोग लगाकर नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें।
ओम मत्स्य रूपाय नमः
इसके बाद सभी भक्तों को प्रसाद बांट दें।
मत्स्य द्वादशी के दिन करें यह उपाय-
सभी प्रकार के कार्यों को सिद्ध करने और सभी संकटों को दूर करने के लिए मत्स्य द्वादशी के दिन मछलियों को दाना डालें।
मत्स्य द्वादशी के दिन नव धान को अपने सिर से वार कर पानी में डाल दें। ऐसा करने से भगवान विष्णु अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
आर्थिक संकट को दूर करने के लिए मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के सम्मुख रोली मिले गाय के घी का दशमुखी दीपक जलाएं।
किसी भी संकट या विवाद को दूर करने के लिए भगवान विष्णु पर अर्पित किए गए गेहूं के दाने मछलियों को खिलाएं।
नुकसान से बचने के लिए मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के प्रसाद को गाय को खिलाएं।
व्यापार में सफलता पाने के लिए भगवान विष्णु पर चढ़ा सिक्का जल में प्रवाहित कर दें।
परिवार में खुशहाली लाने के लिए तुलसी की माला से भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करें।
ओम भगवते वासुदेवाय नमः
मत्स्य द्वादशी की कथा-
सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथो के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी की असावधानी से दैत्य हयग्रीव ने वेदो को चुरा लिया। हयग्रीव द्वारा वेदों को चुरा लेने के कारण ज्ञान लुप्त हो गया। समस्त लोक में अज्ञानता का अंधकार फ़ैल गया। तब भगवान विष्णु जी ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण कर दैत्य हयग्रीव का वध किया और वेदो की रक्षा की तथा भगवान ब्रह्मा जी को वेद सौप दिया।