हरियाली तीज का महत्व जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से 

RAKESH SONI

हरियाली तीज का महत्व जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से 

 कोलकाता। करवा चौथ जितना है हरियाली तीज का महत्व 

सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर सावन का मुख्य त्योहार हरियाली तीज हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल हरियाली तीज का पावन पर्व 19 अगस्त को मनाया जाएगा। हरियाली तीज , श्रावणी तीज, कजली तीज या मधुश्रवा तीज के नाम से जानी जाती है। हरियाली तीज में हरे रंग का बहुत महत्व है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर हरी साड़ी पहनकर विधि विधान से व्रत व पूजा करती हैं। ऐसी मान्यता है कि सुहागन महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं।

हरियाली तीज का यह व्रत कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिए रखती हैं। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए काफी तपस्या की और हरियाली तीज का व्रत रखा था। हरियाली तीज के व्रत रखने से भगवान शिव प्रसन्न होकर माता पार्वती को पत्नी के रूप में अपनाया था। हरियाली तीज में झूला झूलना, चूड़ियां, मेहंदी व लोकगीतों का बड़ा महत्व होता है।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त 

अगस्त 18, 2023 को 20:03:34 से तृतीया आरम्भ

अगस्त 19, 2023 को 22:21:33 पर तृतीया समाप्त

सुहागिनों के लिए खास है हरियाली तीज 

सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज का महत्व काफी होता है। यह त्योहार सुखी दांपत्य जीवन और प्रेम का प्रतीक है। इसमें महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-उपासना करते हुए लोक गीत गाते हुए झूले धूलती हैं। हरियाली तीज पर नवविवाहित लड़की की ससुराल से नए वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार की चीजें और मिठाईयां भेजी जाती हैं। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना होता है। सावन में शिव उपासना करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं जल्दी ही पूरी होती हैं। इस साल सावन का महीना 31 अगस्त तक चलेगा। हरियाली तीज का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है क्योंकि इस पर्व भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हुए अपने सुहाग की लंबी आयु की प्रार्थना की जाती है। 

सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त को रात 8 बजकर 3 मिनट से शुरू हो जाएगी। इसका समापन 19 अगस्त को रात 10 बजकर 21 मिनट पर होगा। 

पूजा के लिए कब-कब मुहूर्त है।

सुबह का मुहूर्त – सुबह 7 बजकर 47 मिनट से 09 बजकर 22 मिनट तक

दोपहर का मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 32 मिनट से दोपहर 02 बजकर 07 मिनट तक

शाम का मुहूर्त- शाम 06 बजकर 52 मिनट से रात 07 बजकर 15 मिनट तक

रात का मुहूर्त- रात 12 बजकर 10 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक

हरियाली तीज का महत्व 

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसलिए विवाहित महिलाएं इस व्रत को अखंड सुहाग की कामना से और कुंवारी लड़कियां योग्य वर प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं। मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। माता पार्वती ने 108 वें जन्म के बाद भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था। करवा चौथ की तरह ये व्रत भी सभी विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु,दांपत्य जीवन में प्रेम तथा भाग्योदय के लिए निर्जला व्रत करती हैं। अखंड सौभाग्य की कामना से इस दिन भगवान शिव,तीज माता का स्वरुप देवी पार्वती,नंदी और कार्तिकेय के साथ-साथ श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। 

हरियाली तीज व्रत कथा 

माना जाता है कि इस कथा को भगवान शिव ने पार्वती जी को उनके पूर्व जन्म के बारे में याद दिलाने के लिए सुनाया था। कथा कुछ इस प्रकार है–

शिवजी कहते हैं: हे पार्वती। बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किया था। मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया। तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुःखी और नाराज़ थे. ऐसी स्थिति में नारदजी तुम्हारे घर पधारे।

जब तुम्हारे पिता ने उनसे आगमन का कारण पूछा तो नारदजी बोले – ‘हे गिरिराज! मैं भगवान् विष्णु के भेजने पर यहाँ आया हूँ। आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं। इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूँ।’ नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले- हे नारदजी। यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती। मैं इस विवाह के लिए तैयार हूं।”

शिवजी पार्वती जी से कहते हैं, “तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारदजी, विष्णुजी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया। लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ। तुम मुझे यानि कैलाशपति शिव को मन से अपना पति मान चुकी थी।

तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी सहेली को बताई। तुम्हारी सहेली से सुझाव दिया कि वह तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिवजी को प्राप्त करने की साधना करना। इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुःखी हुए। वह सोचने लगे कि यदि विष्णुजी बारात लेकर आ गए और तुम घर पर ना मिली तो क्या होगा। उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम ना मिली।

तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी। भाद्रपद तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना कि जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की। इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि ‘पिताजी, मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है। और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है। अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे।” पर्वत राज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें घर वापस ले गये। कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि – विधान के साथ हमारा विवाह किया।”

भगवान् शिव ने इसके बाद बताया कि – “हे पार्वती! भाद्रपद शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका। इस व्रत का महत्त्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मन वांछित फल देता हूं। भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा।

सवान के व्रत और त्योहार 

इस साल शिव जी का प्रिय महीना सावन 4 जुलाई से शुरू हो गया है। यह माह 31 अगस्त को समाप्त होगा। सावन का महीना हिंदू धर्म में बहुत खास माना जाता है। इस माह के शुरू होते ही कई व्रत और त्योहारों की भी शुरुआत हो जाती है। सावन का महीना शिव जी को तो समर्पित है ही, साथ ही भाई बहन के अटूट प्रेम का प्रतिक रक्षा बंधन और सुहागिन महिलाओं का प्रमुख पर्व हरियाली तीज भी इसी माह में होता है। इसके अलावा सावन माह के सोमवार कुंवारी लड़कियों के लिए काफी खास माने जाते हैं। अधिकमास होने की वजह से इस बार सावन में कुल 8 सोमवार पड़ रहे हैं। कहा जाता है कि सावन में भगवान शिव की उपासना करने से लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। साथ ही सावन के महीने में शिव भक्तों द्वारा कांवड़ यात्रा निकाली जाती है। ऐसे में देखा जाए तो सावन में कई धार्मिक पर्व मनाए जाते हैं। तो चलिए देखते हैं सावन माह के सभी व्रत और त्योहारों की लिस्ट..

 

1 अगस्त, मंगलवार पूर्णिमा व्रत 

4 अगस्त, शुक्रवार संकष्टी चतुर्थी

12 अगस्त, शनिवार परम एकादशी

13 अगस्त, रविवार प्रदोष व्रत

14 अगस्त, सोमवार मासिक शिवरात्रि

16 अगस्त, बुधवार अमावस्या

17 अगस्त, गुरुवार सिंह संक्रांति

19 अगस्त, शनिवार हरियाली तीज

21 अगस्त, सोमवार नाग पंचमी

27 अगस्त, रविवार श्रावण पुत्रदा एकादशी

28 अगस्त, सोमवार प्रदोष व्रत

29 अगस्त, मंगलवार ओणम/थिरुवोणम

30 अगस्त, बुधवार रक्षा बंधन

31 अगस्त, गुरुवार श्रावण पूर्णिमा व्रत

 

सावन सोमवार 2023 

 

सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई

सावन का दूसरा सोमवार 17 जुलाई

सावन का तीसरा सोमवार 24 जुलाई

सावन का चौथा सोमवार 31 जुलाई

सावन का पांचवा सोमवार 07 अगस्त

सावन का छठा सोमवार 14 अगस्त

सावन का सातवां सोमवार 21 अगस्त

सावन का आठवां सोमवार 28 अगस्त

सावन मंगला गौरी व्रत 2023

पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई 2023

दूसरा मंगला गौरी व्रत 11 जुलाई 2023

तीसरा मंगला गौरी व्रत 18 जुलाई 2023

चौथा मंगला गौरी व्रत 25 जुलाई 2023

पांचवा मंगला गौरी व्रत 1 अगस्त 2023

छठा मंगला गौरी व्रत 8 अगस्त 2023

सातवा मंगला गौरी व्रत 15 अगस्त 2023

आठवां मंगला गौरी व्रत 22 अगस्त 2023

नौवां मंगला गौरी व्रत 29 अगस्त 2023

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