चतुर्दशी श्राद्ध आज जानते है क्या है महत्व
धार्मिक। हिंदू धर्म के अनुसार पितृपक्ष में परिजनों की मृत्यु की तिथि के अनुसार ही श्राद्ध किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है पितृपक्ष की चतुर्दशी तिथि जो इस बार 13 अक्टूबर को है इस दिन श्राद्ध करने की मनाही है। महाभारत के अनुसार, इस दिन केवल उन्ही का श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी अकाल मृत्यु जैसे किसी दुर्घटना में हुई हो। इस तिथि पर अकाल मृत्यु (दुर्घटना, आत्महत्या आदि) को प्राप्त पितरों का श्राद्ध करने का ही महत्व है।
चतुर्दशी श्राद्ध का महत्व
श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर स्वमभाविक मृत्यु वाले लोगों का श्राद्ध नहीं किया जाता है। बल्कि इस दिन उन लोगों के श्राद्ध करने की परंपरा है जिनकी अकाल मृत्यु होती है। जैसे जिन लोगों की मृत्यु किसी दुर्घटना में या किसी हादसे में होती है, या फिर किसी जानवर या सांप के काटने से मरने वालों का श्राद्ध इसी दिन होता है। इसीलिए इस चतुर्दशी को घायल चतुर्दशी कहते हैं। इसके अलावा किसी भी महीने की चतुर्दशी तिथि में जिनकी मृत्यु होती है उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जा सकता है।
चतुर्दशी तिथि पर अकाल मौत मरने वालों का श्राद्ध किया जाता है। अकाल मृत्यु से अर्थ है जिसकी मृत्यु हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना आदि कारणों से हुई है। जिन पितरों की मृत्यु ऊपर लिखे कारणों से हुई हो या उनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो तो उनका श्राद्ध इस तिथि को करने से वे प्रसन्न होते हैं।
महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया है कि जो लोग आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को तिथि अनुसार श्राद्ध करते हैं उन्हे कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस तिथि के दिन जिन लोगों की मृत्यु स्वाभाविक रूप से हुई हो, उनका श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन करना उचित रहता है।