त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के विषय में जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा जी से 

RAKESH SONI

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के विषय में जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा जी से 

कोलकाता। दसवां ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर महाराष्ट्र के नासिक से २५ किलोमीटर दूर त्र्यंम्बकेश्वर में गोदावरी नदी के पास स्थापित है। कहा जाता है कि गौतम ऋषि और गोदावरी नदी ने भगवान शिव से यहां पर निवास करने का निवेदन किया था, जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में स्थापित हो गए।त्र्यंबकेश्वर दुनिया का एक मात्र ऐसा शिवलिंग है, जिसमें शिव संग भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी का भी वास है। सावन के महीने में भगवान त्र्यंबकेश्वर की पूजा का विशेष धार्मिक महत्व है, क्योंकि यह विश्व का एक मात्र शिवलिंग है जहां पूजा करने पर व्यक्ति को भगवान शिव के साथ ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

 

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें 

१ . देश के १२ ज्योतिर्लिंगों में त्र्यंबकेश्वर मंदिर का बहुत ज्यादा महत्व है क्योंकि देश के बाकी ज्योतिर्लिंगों में जहां भगवान शिव अकेले प्रधान देवता के रूप में पूजे जाते हैं, वहीं इस मंदिर में शिव संग भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी का भी वास है। 

२ . त्र्यंबकेश्वर मंदिर के भीतर जब आप गर्भगृह में पहुंचते हैं तो आपको यहां पर स्थित ज्योतिर्लिंग आंख के समान दिखाई देता है, जिसमें जल भरा रहता है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के भीतर एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में पूजा जाता है। 

३ . त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में श्रावण मास में पूजा करने पर साधक को त्रिदेव यानि भगवान शिव के साथ भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

४ . त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर भगवान शिव को यहां विराजमान होना पड़ा। 

५ . काले पत्थरों से बना त्र्यंबकेश्वर मंदिर नासिक में ब्रह्मगिरि पर्वत और गोदवरी नदी के करीब स्थित है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर की बनावट बेहद खूबसूरत है, जो हर श्रद्धालु को अपने ओर खींच लाती है.

६ . मान्यता है कि बृहस्पति सिंह राशि में आते हैं तो तब भगवान शिव के इस पावन धाम पर कुंभ महापर्व होता है, जिसमें सभी तीर्थ, देवतागण यहां पर पधारते हैं। कुंभ मेले में शामिल होने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु मां गोदावरी में पवित्र डुबकी और भगवान त्र्यंबकेश्वर के दर्शन और पूजन के लिए पहुंचते हैं। 

७ . कुंडली से जुड़े कालसर्प दोष को दूर करने के लिए देश के प्रमुख तीर्थ स्थानों में त्रयम्बकेश्वर मंदिर का भी बहुत बड़ा नाम है। मान्यता है कि शिव के इस पावन धाम पर विधि-विधान से पूजन करने पर व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। 

८ . त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष को दूर करने की पूजा के के साथ त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि की विशेष पूजा कराने का बहुत महत्व है। 

९ . मान्यता है कि त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा से व्यक्ति के न सिर्फ इस जन्म के बल्कि पूर्व जन्म के पाप भी दूर हो जाते हैं और उसे सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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