दामोदर द्वादशी व्रत के बारे में जानते है सुमित्रा जी से
Kolkata। दामोदर द्वादशी व्रत श्री विष्णु पूजन में एकादशी ओर द्वादशी इन दोनों तिथियों का बहुत महत्व रहा है. द्वादशी का पूजन भी एकदशी के पूजन की ही भांति भक्तों को भगवान का आशीर्वाद प्रदान करता है. सावन माह की दामोदर द्वादशी का काफी महत्व माना गया है, इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने से पुण्य मिलता है. द्वादशी माह में दो बार आती है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष.सावन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को दामोदर द्वादशी के रुप में जाना जाता है.
हर द्वादशी व्रत का अपना विशेष महत्व माना गया है. इसकी शुभ विधि-नियम और उद्यापन के द्वारा भक्त सुख एवं शुभ फलों को पाने में सफल होता है. आइये जानें कैसे करें द्वादशी का पूजन तथ ऐस पूजन के लिए किस सामग्री की आवश्यकता होगी.
द्वादशी पूजा विधि
द्वादशी व्रत करने वाले लोगों को एकादशी यानी द्वादशी से एक दिन पहले के दिन से कुछ जरूरी नियमों को मानना पड़ता है. एकादशी के दिन से ही शुद्ध मन एवं संकल्प के साथ जीवन शैली को अपनाया जाता है. मांस-मछली, प्याज, मसूर की दाल और शहद जैसे खाद्य-पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. दशमी और द्वादशी दोनों दिन लोगों को भोग-विलास से दूर पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
द्वादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाना चाहिए इसके बाद व्रत एवं पूजन का आरंभ करना चाहिए. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करना चाहिए. भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए. भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करना चाहिए. द्वादशी व्रत कथा को करना चाहिए भगवान की आरती करने के बाद भगवान को भोग लगाना चाहिए.
द्वादशी पूजा लाभ
इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की उपासना करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं. इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करनी चाहिए. और साधक को सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन द्वादशी व्रत रखने से सभी सुख प्राप्त होते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की उपासना करने से साधक को बल, बुद्धि, धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. दामोदर भगवान विष्णु का एक अन्य नाम है जिसके अनुसर दामोदर स्वरुप का पूजन करते हुए भक्त भगवान की कृपा को पाता है.