इश्क़-ए-वतन संकलन की समीक्षा
समीक्षक की दृष्टि
बांदा। बांदा जिले के रहने वाले अब्दुल रहमान (रहमान बांँदवी) ने इश्क-ए-वतन पुस्तक में अनेक रचनाकारों की रचनाओं को इस पुस्तक में संकलित किया है। पुस्तक में किसी तरह की कोई तड़क-भड़क नहीं है बल्कि सादगी के साथ ही यह पुस्तक अपने नाम की ओर पाठक को विशेष रूप से आकृष्ट करती है। एक बात और कि इसके नाम के अनुरूप ही रचनाकारों ने रचना के माध्यम से सुंदर भावाभिव्यक्ति भी की है। रहमान बांँदवी कहते हैं ‘हर रंग का है खास पैगाम इतना तो जहाँ समझता। डा. शशिशेखर त्रिपाठी जी की कविता ‘धन्य धरा भारत माता यह धरती है नित वंदन की’ अपने समृद्ध अतीत को प्रेरणास्रोत के रूप में प्रस्तुत करती है, रविशंकर कांगड़ा का कहना है कि ‘मत फैलाओ सांप्रदायिकता मैं हिंद जनता की जान हूॅं’, डाक्टर दिव्यांशु पांडेय ‘कैसे कहूंँ भारत आजादी का 75 वाँ वर्ष मना रहा’, आदर्श कुमार की रचना ‘सरहद वाला एक जवान’ में जहाँ देश के भीतर नागरिकों, राजनीतिज्ञों और जवान से जुड़े अलग-अलग भावों के शेड को चित्रित करने का प्रयास करते हैं वहीं नीलोफर फारूकी ने काफी अच्छा लिखा है ‘हमें हमारी मिट्टी से न कोई जुदा करो हिन्दुस्तान की मिट्टी को तरसे ऐसा न खुदा करे।’ सुशी सक्सेना कहती हैं ‘साहिब आज फिर मुझे इस बात का गुमान है कि मेरी जो जन्म भूमि है वो ये हिंदोस्तान है’, वहीं कविता नन्दिनी इश्क-ए-वतन को इस रूप में देखती हैं कि ‘जिए तो वतन के लिए और मरे तो वतन के लिए’, गणपत लाल उदय ने ‘गणतंत्र दिवस’, दशरथ रांकावत ने ‘शहादत का भी एक पर्व है’, डाक्टर श्वेता सिंह ने ‘कतरा-कतरा खून बहा डाला है’ अपने शीर्षक से बयां कर देती हैं कि अपने हिंदोस्तान के लिए कितने जवानों ने खून बहा डाला। भारत को विश्व गुरु के रूप में देखने की चाह रखने वाले पाठकों के लिए योगेश सिंह धाकरे ‘भारत विश्व गुरु था है रहेगा’ कहते हुए आशान्वित हैं वहीं महेश कुमार जी देश के भीतर जो हालात हैं उस पर गंभीर होते हुए लिखते हैं ‘देश की आजादी की खातिर जिन वीरों ने प्राण गंवाए कोई है जो उनके पद चिन्हों पर चल कर कौमी एकता का परचम लहराए’ इसी तरह देवेश कुमार सिंह ने मेरा भारत शीर्षक कविता में ‘आजाद, बिस्मिल, गांधी, सुभाष का भारत अनगिनत वीरों की गाथा है भारत’, राजेश कुमार ने ‘इश्क ए वतन की भावनाएं सभी के दिलों में जलने की बात’ कही, शावेज़ अली ने भी ‘इश्क ए वतन के लिए सर कटाते रहेंगे ये वादा हमेशा निभाते रहेंगे’, लोकेश कुमार मीणा ने ‘भारत भूमि नमन’, युनुस अली ने भी इश्क ए वतन शीर्षक कविता में ‘जवान किसान भारत सभी की स्थितियों के दर्द को बयां किया है, मध्य प्रदेश की वर्षा सोनी ने ‘दिव्यांग फौजी’, कृपा शंकर उपाध्याय प्रीतम कहते हैं ‘हमें ऐसा कोई मक्कार नहीं चाहिए आतंकवादियों को जो शरण दे ऐसा इस देश में कोई गद्दार नहीं चाहिए’, कुमारी गुड़िया की कविता ‘नमन है उन वीरों को जो देश के नाम जान कर गए’, हिमांशी वर्मा की कविता ‘गणतंत्र से आया भारत में नया सवेरा’, विमल फरीदाबादी कहते हैं ‘कहे विमल लाओ समानता सब मिल जुलकर के तुम।’ सभी रचनाकारों ने अपनी कविता के माध्यम से अपने-अपने भाव एवं विचार व्यक्त करने की अच्छी कोशिश की है। सभी की रचनाओं में विषय को लेकर एक ताजगी है, एक नयापन है। ‘इश्क ए वतन’ पुस्तक ने इन रचनाओं को स्वयं में समाहित कर अपने नाम को साकार कर दिया है। सभी की रचनाएँ इस बात का प्रमाण हैं कि सभी को अपने इस देश से कितना प्रेम है। साहित्य की दुनिया में वर्तमान पीढ़ी की जीवन दृष्टि का उपस्थित होना सामाजिक, राष्ट्रीय व मानवीय मूल्यों के चतुर्दिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। साहित्य हमें भविष्य की राह क्या होनी चाहिए, इसके लिए महत्वपूर्ण सामग्री मुहैया कराने में सक्षम होता है। हमारे भारत देश में क्या अच्छाई है और यहाँ क्या समस्याएँ जन्म ले रहीं हैं, इन रचनाओं में दिखाई भी देता है। ‘इश्क ए वतन’ पुस्तक से साबित होता है कि लोगों के दिलों में प्रेम अभी जिंदा है और जब तक प्रेम जिंदा है हमारी एकता बनी रहेगी और इसे कोई भी मिटा नहीं सकता। गद्य और पद्य में लिखी रचनाओं का एक आकर्षक संकलन है ‘इश्क़-ए-वतन’!
समीक्षक
कविता नन्दिनी आजमगढ़ उत्तर प्रदेश
नाम : कविता नन्दिनी
जन्म स्थान : आज़मगढ़
माता का नाम : राज कुमारी
पिता का नाम : सुख नन्दन
शिक्षा : एम.ए.,बी.एड, एन.टी.टी.
लेखन : स्वतंत्र लेखन
आजीवन सदस्य : डॉ. सत्या होप टाॅक शिक्षा-
कार्यक्रम
प्रकाशित उलझनों के जंगल में
(एकल कविता संग्रह)
राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं कहानियों और संस्मरण का प्रकाशन, तमाम राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय साझा संग्रहों में प्रकाशित।
हाल में ही प्रकाशित संकलनों की प्रतिक्रियाएँ
(इश्क़-ए-वतन)
डॉ. शशि शेखर त्रिपाठी
पुस्तक की प्रतिक्रिया
बेहतरीन उच्चकोटि के रचनाकारों की मौलिक एवम अप्रकाशित रचनाओं का शानदार ,उपयोगी साझा संकलन।
प्रकाशक के बारे में प्रतिक्रिया
देशहित में नेक और प्रशंसनीय कार्य किया है। निश्चित तौर पर इस कार्य से लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा ।
संकलनकर्ता के बारे में प्रतिक्रिया
बहुत ही सराहनीय कार्य ,परम साधुवाद अनंत धन्यवाद ।अच्छा लगा आज भी देशहित में बिना किसी लोभ लालच के नेक कार्य करने वाले हैं। मेरी शुभकामनाएँ ।
विमल फरीदाबादी
पुस्तक की प्रतिक्रिया
हिंदी कविता जगत के उत्थान हेतु सराहनीय प्रयास….. उभरते हुए नए कवियों के लिए अनमोल प्लेटफॉर्म…..पुस्तक के प्रकाशन में सहयोग-कर्ताओं को नमन….. !
प्रकाशक के बारे में प्रतिक्रिया*
युवा कवियों व हिंदी भाषा को नए मुक़ाम पर ले जाने के लिए प्रयासरत प्रकाशक को मैं विमल फरीदाबादी विशेष रूप से धन्यवाद देता हूँ कि हम जैसे आम आदमी की लेखनी को अपने प्रकाशन के माध्यम से जन मानस तक पहुंचाने का अनमोल कार्य कर रहे हैं । मैनें तकरीबन पिछले साल से अब तक प्रकाशित सभी कृतियों पर नज़र डाली है और पाया है कि प्रकाशक आम लेखकों की कृतियों को ससम्मान अपने प्रकाशन में निःस्वार्थ भाव से उचित स्थान दे रहे हैं जिसके लिए उन्हें कोटि कोटि नमन करता हूँ और ईश्वर से कामना करता हूँ कि यह कारवाँ यूँ ही चलता रहे……
प्रकाशक के बारे में प्रतिक्रिया
प्रसंशनीय कार्य जो हम जैसे नए कवियों व लेखकों के लिये मौका देते हैं….. !
महेश कुमार
पुस्तक का विमोचन एंव लेखकाें के लेख का सुंदर वर्णन वाकई अदभुत एंव सराहनीय है!!!
प्रकाशक के बारे में प्रतिक्रिया
मैं बुंदेलखंड पब्लिकेशन का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने मुझे अपनी पत्रिका में शामिल किया ।पुन:एक बार फिर से आभार ।
कवित नन्दिनी
प्रकाशक के बारे में प्रतिक्रिया
पुस्तक का रूप आकार और डिजाइन आकर्षक है प्रकाशक को इसके लिए बधाई।
संकलनकर्ता के बारे में प्रतिक्रिया
संकलनकर्ता ने वरिष्ठ और पारंगत रचनाकारों के साथ नए साहित्य प्रेमियों को भी अवसर देकर एक महत्वपूर्ण काम किया है।
Ganpatlal Udai
पुस्तक के बारे में प्रतिक्रिया
वाह वाह बहुत उम्दा
Sushi saxena
Feedback regarding book
Bahut hi sundar and impressive book hai
Feedback regarding Publisher or Publication House
Wah bahut hi achchhe publisher hai
Manisha S Kaushal (सह-संस्थापिका – मनसंगी साहित्य संगम )
पुस्तक के बारे में प्रतिक्रिया
देश प्रेम से परिपूर्ण और सबकी अपनी अपनी देश भक्ति के विचार प्रस्तुत किए गए है इस पुस्तक में जिसे पढ़ कर राष्टीय एकता और देश पर गर्व होता है।
प्रकाशक के बारे में प्रतिक्रिया
लुभावने विषय देकर सबके विचारो को एक सूत्र में पिरोने का काम प्रकाशक करते है।
The Real Feelings (Feedback)
Laxman Chaudhary
Regarding Book
Awesome Book.
Regarding Publisher
यह प्रकाशन वाकही मैं काबिले तारीफ हैं।
यह प्रकाशन उभरते हूए लेखक को एक प्ल्याट फार्म बना देता हैं, जहाँ वो अपना लेख पाठको के सामने ला सके। ये प्रकाशन अच्छी पूस्तक प्रकाशीत करता हैं।
Samavia Tazeen
Regarding Book
The book theme and cover plus experience related to it was absolutely amazing. I loved writing for it.
Regarding Publisher
The publication house is so supportive and efficient.
Saksham
Regarding Book
The Real Feelings is amazing book ’cause here all people described their own feelings what a topic or pain made them write. So I like and writing is not a job or profession it’s you so I believe in it and it.
Regarding Publisher
First time when I became co-author I was of Bundelkhand Publication House and it’s do a solid work. No any fault I have no complaint and working with BPH I think no one can do ’cause it’s a perfect publication house and who helped too it requires. I really love it.
Matilda
Regarding book
I think that this anthology is a great anthology. That explores the depth of feelings. Feelings that we all feel at some point in our lives.
Relationship (Feedback)
Rinku Mogare
पुस्तक के बारे में प्रतिक्रिया
जैसा हर व्यक्ति एक सा नहीं होता, उनके विचार, भावनाऐं भिन्न होती हैं उसी प्रकार यह संकलन भिन्न-भिन्न लोगों के एक ही विषय पर भिन्न -भिन्न रचना दिखती है। वो सम्बन्ध किसी का भी हो सकता है, जैसे, हमसफर, दिल टूटा आशिक आदि रचनाएं हिन्दी और अंग्रेजी में हैं आप पढ़ें आपको अच्छा लगेगा ।
प्रकाशक के बारे में प्रतिक्रिया
विगत कुछ वर्षों से जब से पब्लिकेशन की स्थापना हुई, यह निरन्तर फ्री पुस्तक प्रकाशित करते आ रहे हैं और एकल संग्रह से जो राॅयल्टी इनकम हुई उसे जरूरतमंदों की सेवा में खर्च किया।
Aman Tripathi
Regarding book
Book is very good
बुंदेलखंड पब्लिकेशन हाउस संकलन में भाग लेने वाले सभी सह-लेखकों का हार्दिक आभार व्यक्त करता है।