मनसंगी का भरोसा है तो रिश्ते हैं नामक साझा संकलन हुआ प्रकाशित
सारणी। रोसा है तो रिश्ते हैं, आज के दरकते रिश्तों में भरोसे की ही जरूरत है आज जहाँ इंसान अपने आप में मशगूल है, जीवन और परिवार आपसी प्रेम सब दरकते जा रहें हैं, इसी पर आधारित कविता, कहानियों कि संग्रह, उम्मीद है हमारे पाठकों को जरूर पसंद आएगा नसंगी पटल पर एक और साझा संकलन को प्रकाशित किया गया जिसका विषय
भरोसा है तो रिश्ते हैं संस्थापक अमन राठौर मन जी पहले से ही उत्साहित थे। बतौर संकलक आ. महेंद्र सिंह राज जी ने सफलतम कार्य किया , तथा पुस्तक को सुंदरता से प्रस्तुत करते हुए संपादकीय कार्य सुनीता सिंह सरोवर जी ने किया।संस्थापक अमन राठौर ,संस्थापिका मनीषा कौशल,अध्यक्ष सत्यम द्विवेदी सभी ने अपना विशेष योगदान दिया। इस संकलन में आने वाले रचनाकार विभिन्न प्रदेशों से जुड़े। आ. अनीता सोनी जी , आ. कामिनी मिश्रा जी , आ महेंद्र सिंह राज जी, आ. उमा शंकर बाजपेयी नमन जी, आ. रोशन जी, मुहम्मद फरहान लारी, आ. राजेश ओझा जी, सुनीता तिवारी जी, आ. सरोज विश्वकर्मा , रेखा मोर्य, अंजना अग्रवाल, शबनम सारंग, सुधीर श्रीवास्तव, डाॅं सुनीता चौहान, स्वर्णलता, सुनीलानंद, तरूण रस्तोगी “कलमकार”, मोतीलाल दास, शरद कुमार पाठक, रमेश चंद्र द्विवेदी, बजरंग लाल केजरीवाल, अमित कुमार बिजनौरी, लक्ष्मी सेंगर जी, प्रताप सिंह ” कविय”, मधु माहेश्वरी, शिखा गोस्वामी, रजनी प्रभा, संध्या सिंह, सौदा मिनी खरे ये रचनाकार रहे ||