परिजनों ने ठुकराया तो मौत ने लगा लिया गले
अपनों के इंतजार में आखिर छूट गई सांसों की डोर
जिंदा था तो अपनाया नहीं, अब मिलकर करेंगे अंतिम संस्कार
बैतूल। माता-पिता ने जन्म लेने के बाद जिस बच्चे का नाम बड़ी खुशी से राजकुमार रखा था बीती रात उसकी लावरिस की तरह मौत हो गई। 15 दिनों से वह उम्मीद लगाए था कि वह जल्द ही अपने मामा या भाई के घर जा पाएगा, लेकिन परिजनों ने उसे अपनाने से इंकार कर दिया और मौत ने गले लगा लिया। विडम्बना यह थी कि राजकुमार की मौत की सूचना देने के लिए भी परिजन फोन उठा ले इस बात के लिए भी 12 घंटे का इंतजार करना पड़ा। सुबह जब फोन उठा तब कहीं जाकर सबसे पहले ममेरे भाई सुदामा कुशवाह को सूचना दी गई। इन 15 दिनों में राजकुमार का दोस्त सूर्यकांत सोनी उसकी देखभाल करता रहा। कल जब सांसें उखडऩे लगी तब भी सुबह से देर रात तक वह जिला अस्पताल में ही उसका ध्यान रखता रहा, लेकिन रात करीब 10.5 बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस द्वारा राजकुमार को सतना या जबलपुर भेजने के लिए वाहन की व्यवस्था करने के भी निर्देश सीएमएचओ डॉ एके तिवारी को दे दिए थे, लेकिन परिजन उसे अपने पास बुलवाने राजी ही नहीं हुए। अब उसकी मौत के बाद रात तक परिजन बैतूल पहुंचेगे, संभवत: कल राजकुमार का बैतूल में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा।
अचानक बिगड़ी राजकुमार की तबियत
सूर्यकांत सोनी ने अपने दोस्त के उपचार के लिए हर संभव प्रयास किया। जिला अस्पताल के डॉ रानू वर्मा, पुलिस चौकी प्रभारी सुरेन्द्र वर्मा, समाजसेवी मनीष दीक्षित और गौरी पदम से वह पूरे समय सम्पर्क में रहे। 9 मई को जब राजकुमार के मामा शिवदास से श्रीमती पदम की चर्चा हुई तो वह राजकुमार को सतना बुलाने के लिए राजी भी हो गए थे। शिवदास को पुलिस चौकी प्रभारी का नंबर दिया गया। जब चौकी प्रभारी से उनकी चर्चा हुई तो 12 मई के बाद सतना भेजने का आग्रह किया और श्री वर्मा ने भी ठीक है कह दिया। 13 मई को फिर शिवदास कुशवाह को कॉल करने का सिलसिला शुरु हुआ लेकिन कई बार कॉल करने के बाद भी उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। 14 मई को भी सम्पर्क करने की कोशिश की पर कोई रिस्पांस नहीं मिला। सूर्यकांत ने बताया कि 15 मई को सुबह अचानक ही राजकुमार की तबियत बिगड़ी और उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। रात तक उसे ऑक्सीजन पर रखा लेकिन अंत में वह जिदंगी की जंग हार ही गया। देर रात डॉ रानू वर्मा से चर्चा के बाद शव को जिला अस्पताल की मरच्यूरी में रखवाया गया है। अब
रात तक बैतूल पहुंचेंगे राजकुमार के परिजन
राजकुमार कुशवाह को मुम्बई में उसकी कंपनी के कुछ साथी पेरालिसिस अटैक आने के बाद उसके दोस्त सूर्यकांत सोनी के सुपुर्द कर गए थे। जिसका उपचार जिला अस्तपाल में चल रहा था । 15 दिनों में कई बार जबलपुर, सतना, मुम्बई निवासी परिजनों को फोन करके उसे अपनाने के लिए आग्रह किया गया पर भाई, मामा, भाभी, ससुर कोई नहीं माना। बीती रात राजकुमार की मौत के बाद आज सुबह बड़ी मुश्किल से परिजनों को सूचना हो सकी। श्रीमती पदम ने बताया कि सुदामा के मामा ओपी कुशवाह का कहना था कि शव को सतना भिजवा दे जिस पर उन्होंने बैतूल आकर फार्मलिटी कर शव ले जाने की बात कहीं। इधर सूर्यकांत द्वारा भी राजकुमार के भाई से जबलपुर में सम्पर्क किया गया, आखिर भाई ने कुछ अन्य रिश्तेदारों के साथ बैतूल आने की सहमति दी। आज रात तक राजकुमार के रिश्तेदार बैतूल पहुंचेंगे। सुबह राजकुमार को सतना या जबलपुर ले जाने या बैतूल में ही अंतिम संस्कार करने का निर्णय परिवार द्वारा लिया जाएगा। जिन अपनों के इंतजार में राजकुमार ने दम तोड़ दिया वह अब एकजुट होकर राजकुमार का अंतिम संस्कार करेंगे।
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