घर का बिल नही भरा तो खेत की बिजली काटी
आदिवासियों ने किया बिजली दफ्तर का घेराव
किसानों ने कहा सूख रही है खड़ी फसल
सारनी। खेत की बिजली काटने से नाराज जुआझार एवं गाताखेड़ा के सैकड़ो किसानों ने मंगलवार को सारनी बिजली दफ्तर का घेराव किया। किसानों का आरोप है कि अस्थाई कनेक्शन का पैसा जमा कराने के बाद भी वितरण विभाग ने खेत की बिजली काट दी है। जुआझर के किसान शिवलाल उईके ने बताया कि कि उनके द्वारा चार माह तक खेतों में सिंचाई के लिए 8250 रुपए की टीसी कटवाई है जिसकी डेट भी अभी बाकी है। फिर भी विद्युत वितरण कंपनी सारणी द्वारा 4 दिन से बिजली आपूर्ति बाधित कर दी है। जिसके चलते हम किसान खेतों में सिंचाई नहीं कर पा रहे। जबकि गेहूं के लिए मौजूदा स्थिति में सिंचाई करना आवश्यक है। इस समय सिंचाई नहीं करने पर गेहूं की खड़ी फसल सूख जाएगी।
गाता खेड़ा गांव के सूरज ने बताया कि कि हम किसानों से बिना बताए ही विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बिजली काट दी है। जिसके चलते हम सभी किसान मानसिक रूप से परेशान हैं किसानों का कहना है कि हमारी फसल सिंचाई के अभाव में सूखती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी वितरण कंपनी की होगी। दरअसल किसानों का साफ कहना है कि बिजली बिल जमा नहीं किया गया है तो इसको लेकर वितरण कंपनी ग्रामीणों पर कार्रवाई करें हम किसानों ने 4 माह का पहले ही टेंपरेरी कनेक्शन लेकर उसका पूर्ण भुगतान कर दिया है, तो फिर हम किसानों की खेत की बिजली क्यों काटी जा रही हैं।
मंगलवार को सुबह साढ़े 10 बजे सैकड़ो किसान अपनी फरियाद लेकर बिजली दफ्तर पहुंचे। बिजली विभाग के अधिकारी थोड़ी देर में आने का कहकर 2 बजे तक नही आए। किसानों ने इसकी जानकारी भाजपा नेताओं को दी। भाजपा जिला महामंत्री कमलेश सिंह एवं ग्रामीण मण्डल अध्यक्ष मोहन मोरे बिजली ऑफिस पहुंचे और किसानों से चर्चा की। भाजपा जिला महामंत्री कमलेश सिंह ने अधीक्षण यंत्री बैतूल श्री बशिष्ठ को फोन लगाकर पूरे मामले की जानकारी दी। शाम 4 बजे जेई प्रमोद वरकड़े ऑफिस पहुंचे एवं भाजपा नेताओं और किसानों से चर्चा की। उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों ने घरेलू कनेक्शन का बिल नही भरा है इसलिए बिजली काटी गई है। जिला महामंत्री ने कहा कि घरेलू कनेक्शन का बकाया बिल वसूल करने के लिए खेत की बिजली काटा जाना न्यायसंगत नही है। खेत मे बिजली आपूर्ति तत्काल शुरू करें। खेत की बिजली तत्काल जोड़ने एवं दो दिन में कैम्प लगाकर बकाया बिलों का समाधान करने के निर्णय के बाद किसान अपने गांव लौट गए।