बिना मिले प्यार में कैसे पड़ जाते है लोग जानते है डॉ सुमित्राजी से की ब्रेन का लिम्बिक सिस्टम कैसे काम करता है ?

RAKESH SONI

बिना मिले प्यार में कैसे पड़ जाते है लोग जानते है डॉ सुमित्राजी से की ब्रेन का लिम्बिक सिस्टम कैसे काम करता है ?

कोलकाता। प्यार में पड़ने का प्रारंभिक चरण एक चरम न्यूरोबायोलॉजिकल अवस्था है। इस समय हार्मोन, एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन की मात्रा भी कमाल का काम करती है। मस्तिष्क के लिम्बिक सिस्टम और रिवॉर्ड सेंटर सक्रिय हो जाते है।

आज के नवयुवको में कई लोग विवाह नहीं कर रहे। उनका कहना है की कोई पसंद नहीं आ रहा। सवाल ये उठता है की पसंद क्यों नहीं आ रहा ?

पहले शादी के कुछ बेसिक नियमावली थे – पहले घर वालो ने जिसे पसंद कर दिया उस से शादी हो गयी। फिर इन में से कुछ को अपने साथी से प्यार हो भी जाया करता था। आज का युवक पहले प्यार चाहते और फिर शादी। हमारे दिमाग के लिम्बिक सिस्टम का भावना और स्मृति में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बहुत बार देखा गया है २ मिनट के लिए लड़के लड़की को मिलाने से वो प्यार एकदम से नहीं पनपता इस लिए वो शादी से इंकार कर देते है। 

कुछ ऐसे भी किस्से है जिनमें कभी अकस्मात् मुलाकात हुई और फिर महीनो मुलाकात नहीं हुई पर ये पहली मुलाकात के दौरान अगर ऐसा कुछ हो जिससे की लिम्बिक सिस्टम एक्टिवटे हो जाएं तो यह एक सकारात्मक मनोदशा का कारण बनता है , हालांकि तब प्यार मोहब्बत की बात दिमाग में नहीं भी आ सकती है। पर बाद में कभी अगर अचानक इस व्यक्ति से मुलाकात हो और बात हो तो पुरानी यादें सामने आ जाती है क्यों की वो मुलाकात सुखद थी , लिम्बिक सिस्टम एक्टिवटे होने से ये यादें न केवल ताज़ा हो जाती है बल्कि बहुत मजबूत भी हो जाती है। ऐसे में इनके बिच ज्यादा बात चित हो तो प्रेम हो ही जाता है। सोचने वाली बात ये है की क्या ये प्रेम छणिक होता है ? अक्सर देखा गया है ये प्रेम गहरा होता है और एक दिन की बात के बावजूद ये सम्बद्ध का टूटना मुश्किल होता है।  

कारण एक दिन की बात नहीं है, कारण है उनकी पहली मुलाकात का असर है । जिन लोगो ने प्रेम विवाह किए है उनमे ये दो इवेंट बारी बारी से होते ही है। पहले एक छोटे मुलाकात होती है जो की बहुत महत्वपूर्ण दिखाई नहीं देती है और दूसरी मुलाकात जो की महत्वपूर्ण लगती तो है लेकिन वो सिर्फ एक ट्रिगररिंग पॉइंट होती है। अब दूसरी बात अगर लंबी होती है तो प्रतिबद्धता और लगाव बढ़ जाता है। यह हार्मोन ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन द्वारा संचालित होता है। बात की सुरुवात में एक घबराहट और अनिश्चय का अंश रहता है दोनों की तरफ से और तनाव भी रहता है इसका कारण उच्च कोर्टिसोल है। कुछ समय बात करते करते ऑक्सीटोसिन काम करने लगता है और तब हमें सुरक्षित महसूस करने में मदद करता है। लंबी बातों में अगर आश्वासन का अंश बढ़ता है लड़की या लड़के के तरफ से तो वैसोप्रेसिन सक्रिय होने लगता है । ये ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन के बीच दूसरों के साथ जुड़ने का संतुलन होता है, साथ ही आप जिस व्यक्ति से प्यार करते हैं और उसकी रक्षा की बात करते हैं। ध्यान देने की बात है की पूरी प्रक्रिया में होर्मोनेस के एक्टिवेशन पर ये निर्भर करेगा की लोग एक दूसरे के साथ भाग जायेंगे, या कोई के घर वाले राजी न होने पर अपने देह का अंत करेगा या प्रेम को विवाह का सौभाग्य मिलेगा। 

अब इस में कई ऐसे लोग है जिनकी पहली मुलाकात सुखद होने से ये उस व्यक्ति को और जानने की जिज्ञासा रखते है और अचानक एक दिन जब वो सामने होते है तो बात करने पहुंच जाते है। दोनों ही नहीं जानते होते है की ये बात उन्हें एक दूसरे के प्रति आसक्त कर देगी। जब इस बात का अनुभव होता है तो कई लोग इस समबध को किसी भी कारण वस आगे चलने में असमर्थ होते है तब वे उपाय की तलाश करते है। 

अगर आप ऐसे किसी सम्बन्ध में है और उस से निकलना चाहते है तो ऐसे में क्या करे ?

बुजुर्गो ने कहा है – कम बात करे। ये नुस्खा भी अपना कर देख सकते है। जब तक की दोनों में एक दुसरे के प्रति घृणा की भावना नहीं आ जाती तब तक ये सम्बन्ध टूटना मुश्किल होता है। आपका ये पहला धर्म होना चाहिए की अपने साथी को भी आप इससे अवगत कराये की आप अब इस सम्बन्ध में होना नहीं चाहते। दोनों की सहमती के बिना उठाया हुआ ये कदम आगे चल कर उनको फिर एक दुसरे के साथ कर सकता है। 

ऑक्सीटोसिन को अक्सर “प्रेम का हार्मोन” कहा जाता है क्योंकि यह सामाजिक बंधनों और संबंधों के निर्माण की सुविधा प्रदान करता है। 

अगर आपने किसी के ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन को रिलीज कराया हैं, जो एक जोड़े के बीच प्यार और प्रतिबद्धता को बढ़ावा देते हैं।

अगर अनजाने में कोई आपके प्रेम में पड़ गया है तो नीतिगत तरीके से उसे निकलना भी आपका धर्म है। पलायन कायर करते है। समझदार लोग परिस्थिति का सामना करते है। 

सुधार के लिए दोनों को चाहिए की अपनी इक्छा से किसी मनोवैज्ञानिक से परामर्श करे जो आपको इस सम्बंदित कॉउन्सिलिंग दे। 

जितना हो सके दूरी बनाये रखे , प्राणायाम करे , उनका विचार आते ही खुद को किसी दुसरे काम में व्यस्त करे। आज के समय में ये करना बहुत आसान भी है , फ़ोन न उठाये , फ़ोन साइलेंट कर दें। पर ये जान लेना चाहिए की जब तक दोनों इस बात से सहमत न हो तब तक व्यर्थ चेष्टा करना बेकार है।

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