एनएच69 के निर्माण पर उच्च न्यायालय ने लगाई रोक
एक बार फिर राष्ट्रीय राजमार्ग69 का काम रुकता हुआ नज़र आ रहा है। इस बार मामला राष्ट्रीय राजमार्ग पर वन्य प्राणियों की आवाजाही को लेकर उठा है।
सारनी/बैतुल:- दरअसल बैतूल जिले से औबेदुल्लागंज तक बन रहे हाईवे पर सतपुड़ा मेलघाट टाइगर कॉरिडोर के घने जंगल मौजूद हैं। इन कॉरिडोर से बाघ व अन्य वन्य प्राणी एक राष्ट्रीय उद्यान से दूसरे राष्ट्रीय उद्यान में जाते हैं। इसलिए इनका संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है। नियमानुसार कॉरीडोर में हाईवे के निर्माण से पहले वन्य प्राणियों से संबंधित क्लीयरेंस राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से लेना आवश्यक होता है। जिससे वन्य प्राणियों के अनुकूल राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जाता है परंतु एनएचएआई ने इस संबंध में अभी तक क्लीयरेंस लेने से संबंधित कोई भी दस्तावेज़ उच्च न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया है। जिसके बाद माननीय उच्च न्यायालय ने टाइगर कॉरिडोर के क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 69 के काम पर तत्तकाल रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि इसे लेकर महाराष्ट्र निवासी अद्वैत कावले ने मध्यप्रदेश के जबलपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर हुई दो पेशी के दौरान कोर्ट ने एनएचएआई और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को संबंधित क्लीयरेंस सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने के लिए समय दिया था, परंतु दो पेशी के बाद भी उक्त विभाग संबंधित सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं कर पाए जिसके बाद माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने शुक्रवार को तिसरी पेशी के दौरान तिखी टिप्पणी करते हुए तत्काल प्रभाव से नेशनल हाईवे के काम पर रोक लगा दी है।
इस मामले में मुख्य न्यायाधीश रवि मालीमथ ने एनएचएआई को टिप्पणी करते हुए कहा कि “हम सिर्फ वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस सर्टिफिकेट मांग रहे हैं और कुछ नहीं। आप एक वैधानिक प्राधिकारी होने के नाते, और एक केंद्र सरकार का वकील कह रहा है कि आप मानदंडों का उल्लंघन कर रहे हैं… आप और क्या चाहते हैं? कोई कानून कायदा है की नहीं”
बताया जा रहा है कि जब मामला शुक्रवार को सुनवाई के लिए आया, तो एनएएचआई के वकील मोहन सौसरकर एनटीसीए से कोई भी मंजूरी पत्र पेश करने में विफल रहे। वहीं एनटीसीए ने भी अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय मांगा था। इसके बाद नाराज़ अदालत ने कहा, “अपना समय ले लो (आराम से करो), हम अभी काम रोक रहे हैं”
पूर्व में एनएचएआई ने उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया था जिसमें कहा गया था कि उसके पास परियोजना के लिए वन और पर्यावरण संबंधी मंजूरी है। जब NHAI के वकील ने रोक पर आपत्ति जताई तो कोर्ट ने पूछा, ‘आपकी सुनवाई क्यों होनी चाहिए, मामला वन्यजीव मंजूरी के अभाव में पहले ही स्थगित कर दिया गया है”
सारनी निवासी वाइल्डलाइफ एंड नेचर कंजर्वेशन एक्टिविस्ट आदिल खान ने इस पूरे मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि बरेठा घाट पर पूर्व में भालू की मृत्यु के मामले सामने आ चुके हैं, वहीं पिछले साल बैतूल के भौंरा में राष्ट्रीय राजमार्ग के पास बनी ट्रेन की पटरियों पर भी एक बाघ का शावक मृत मिला था और 2018 व 2019 में सारनी से रेस्क्यू हुआ बाघ भी महाराष्ट्र से सतपुड़ा मेलघाट टाइगर कॉरिडोर से ही सारनी पहुंचा था जिससे पता चलता है कि वन्य प्राणियों के माध्यम से टाइगर कॉरिडोर के बीच में बने राष्ट्रीय राजमार्ग को समय-समय पर क्रॉस किया जाता है इसलिए राष्ट्रीय राजमार्ग का डिजाइन वन्य प्राणियों के लिहाज से बनाया जाना अत्यधिक आवश्यक है।