मातृ-पितृ पूजन दिवस निमित्त निकली भव्य हरिनाम संकीर्तन यात्रा (बैतूल अपर कलेक्टर सहित जिले भर के साधक हुए शामिल)

RAKESH SONI

मातृ-पितृ पूजन दिवस निमित्त निकली भव्य हरिनाम संकीर्तन यात्रा

(बैतूल अपर कलेक्टर सहित जिले भर के साधक हुए शामिल)

बैतूल। श्री योग वेदांत सेवा समिति दुनावा , चिखली व मुलताई के संयुक्त तत्वाधान में पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की पावन प्रेरणा से दुनावा, चिखली और मुलताई में रविवार को छिंदवाड़ा से आई साध्वी प्रतिमा बहन के सान्निध्य में जिले भर में 14 फरवरी को आयोजित होने वाले मातृ-पितृ पूजन दिवस का संदेश देने हेतु भव्य हरिनाम संकीर्तन यात्रा का आयोजन किया गया। मुलताई समिति के अध्यक्ष दिनेश बाथरे व मुलताई आश्रम संचालक अजय भाई ने बताया कि आयोजित यात्रा में बैतूल के अपर कलेक्टर श्यामेन्द्र जायसवाल व बैतूल समिति अध्यक्ष राजेश मदान सहित छिंदवाड़ा,

बैतूल, मुलताई, दुनावा, सारणी, शोभापुर, आमला, भैंसदेही, आठनेर, सातनेर, मोही, आमला, बिछुआ व खेडलीबाजार आदि क्षेत्रों से बड़ी संख्या में साधकगण शामिल हुए जिनके भोजन प्रसादी की व्यवस्था दुनावा में श्रीमति संगीता संतोष कुमार शिवहरे जी के निवास के सामने की गई। उसके बाद प्रातः 10 बजे से 11:30 बजे तक दुनावा में भव्य संकीर्तन यात्रा निकाली गई फिर दोपहर बारह बजे से एक बजे तक ग्राम चिखली में तत्पश्चात दोपहर 2 बजे से शाम 4 बजे तक मुलताई के कामथ से प्रारंभ होकर फव्वारा चौक, स्टेशन रोड होते हुए समिति अध्यक्ष श्री दिनेश बाथरे जी के बैतूल रोड़ स्थित निवास से निकलकर बैतूल रोड़ स्थित चैनपुर के संत श्री आशारामजी आश्रम में समापन हुई। श्री बाथरे जी ने बताया कि यात्रा में सभी साधकगण हरिनाम कीर्तन की धुन पर नृत्य करने के साथ ही पूज्य बापूजी की निर्दोषता व रिहाई की मांग करने वाली तख्तियां लेकर चल रहे थे।आयोजित यात्रा को सफल बनाने में मुलताई समिति अध्यक्ष दिनेश बाथरे के साथ मुलताई आश्रम संचालक अजय भाई, गुलाबराव साबले, डीआर गायकवाड, चिरंजीलाल पठारे, बंसीलाल सोनी, छिंदवाड़ा महिला मंडल प्रमुख श्रीमती छाया सूर्यवंशी, शंकरराव खाड़े, विजय दिवड़े, दुनावा से श्रीमती संगीता शिवहरे संतोष शिवहरे, डी आर बोबडे छिंदवाड़ा गुरुकुल संचालक श्रीमती दर्शना खट्टर, लिंगा आश्रम की प्रतिमा बहन, छिंदवाड़ा सुप्रचार महिला मंडल की श्रीमती मीरा पराड़कर, बी डी साहू, गोवर्धन मालवीय, जी एन पटेल, महेश साहू, बलवंतराव पाटणकर, रवि आर्य, सुरेंद्र कुंभारे सहित कई साधकों का योगदान सराहनीय रहा।

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