बैतूल जिले का शासन महिलाओं के हाथ,शाहपुर ब्लॉक में भी विकास कार्य में महिला जनप्रतिनिधि और अधिकारी का योगदान।

RAKESH SONI

बैतूल जिले का शासन महिलाओं के हाथ,शाहपुर ब्लॉक में भी विकास कार्य में महिला जनप्रतिनिधि और अधिकारी का योगदान।

शाहपुर। आदिवासी बहुल्य क्षेत्र बैतूल जिले में अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों के कार्यभार को महिलाएं बखूबी निभा रहीं हैं । जिसमे बैतूल जिले की एसपी सिमाला प्रसाद एक बड़ा चेहरा है जिन्होंने कानून व्यवस्था काबू में कर एक महिला की ताकत को समाज में स्थापित करने का काम किया है,

जनप्रतिनिधि के रूप में नगरपरिषद शाहपुर उपाध्यक्ष का पद भी पहली बार एक महिला श्रीमती पम्मी दिनेश राठौर द्वारा ग्रहण किया, एक पढ़ी लिखी महिला जनप्रतिनिधि के रूप में क्षेत्र में महिलाओं के बढ़ते प्रभाव को दर्शा रहा है,एक महिला होने के नाते समाज में महिलाओं की समस्याओं को समझना उनके लिए आसान होता है,साथ ही क्षेत्र में महिलाओं के विकास एवं स्वरोजगार पर भी ध्यान देना उनकी प्राथमिकता में शामिल है।

वहीं शाहपुर में जनपद सीईओ फिरदोज शाह जिनके द्वारा जनपद पंचायत में कार्यरत रहते हुए प्रशासनिक व्यवस्थाओं के सुगम और सुचारू रखे जाने को लेकर एक मिशाल पेश की है जनपद पंचायत का कार्य सीधे तौर पर जनता से प्रभावित रहता है जिसे सुगम रूप से सुचारू रखना एक जिम्मेदारी का कार्य है जो की सीईओ फिरदोज शाह द्वारा बखूभी करके दिखाया गया। साथ ही शाहपुर जनपद उपाध्यक्ष का पद भी एक महिला के ही कंधों पर है रोशनी विशाल सिंह ठाकुर की 40 पंचायतें जो की पिछड़े और आदिवासी बहुल्य क्षेत्र से संबंधित हैं और महिलाओं के विकास हेतु दारोमदार भी इन्ही को निभाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, महिलाओं का उत्थान और समाज में भागीदारी को बढ़ाना ही इनका लक्ष्य सर्वोपरि है।

वर्ष 1910 के अगस्त महीने में, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के सालाना उत्सव को मनाने के लिये कोपेहेगन में द्वितीय अंतरराष्ट्रीय समाजवादी की एक मीटिंग का आयोजन किया गया था ,इस आयोजन को अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन के द्वारा आयोजित किया गया। जिसके पश्चात अमेरिकन समाजवादी और जर्मन समाजवादी लुईस जिएत्ज़ के द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का वार्षिक उत्सव की स्थापना हुई। इसका उद्देश्य समाज में महिलाओं के लिये समानता के अधिकार को बढ़ावा दिया जाना था ,इसे पहली बार 19 मार्च 1911 में ऑस्ट्रीया, जर्मनी, डेनमार्क और स्वीट्ज़रलैंड के लाखों लोगों द्वारा मनाया गया था। विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम जैसे प्रदर्शनी, महिला परेड, बैनर आदि रखे गये थे। महिलाओं के द्वारा वोटिंग की माँग, सार्वजनिक कार्यालय पर स्वामित्व और रोजगार में लैंगिक भेद-भाव को समाप्त करना जैसे मुद्दे सामने रखे गये थे। हर वर्ष फरवरी के अंतिम रविवार को राष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में अमेरिका में इसे मनाया जाता था। फरवरी महीने के अंतिम रविवार को 1913 में रूस की महिलाओं के द्वारा इसे पहली बार मनाया गया । 1975 में सिडनी में महिलाओं (ऑस्ट्रेलियन बिल्डर्स लेबरर्स फेडरेशन) के द्वारा एक रैली रखी गयी थी। तत्पश्चात 1914 का अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस उत्सव 8 मार्च को रखा जाने लगा। तब से, 8 मार्च को सभी जगह इसे मनाने की शुरुआत हुई। वोट करने के महिला अधिकार के लिये जर्मनी में 1914 का कार्यक्रम खासतौर से रखा गया । वर्ष 1917 के उत्सव को मनाने के दौरान सेंट पीटर्सबर्ग की महिलाओं के द्वारा “रोटी और शांति”, रशियन खाद्य कमी के साथ ही प्रथम विश्व युद्ध के अंत की माँग रखी गई। धीरे-धीरे ये कई कम्युनिस्ट और समाजवादी देशों में मनाना शुरु हुआ जैसे 1922 में चीन में, 1936 से स्पैनिश कम्युनिस्ट आदि में मनाना शुरू होने लगा और आज पुरे विश्व भर यह दिवस महिला के सम्मान के प्रति बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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