कढ़ाईदेव की पहाड़ी पर चार सौ श्रमदानियों ने बनाई 150 जल संरचनाएँ ।
जिले के 75 ग्राम के पर्यावरण कार्यकर्ताओं की दो दिवसीय जल प्रबन्धन कार्यशाला भारत भारती में सम्पन्न ।
बैतुल। विद्या भारती जनजाति शिक्षा व भारत भारती शिक्षा समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय जल प्रबन्धन कार्यशाला भारत भारती आवासीय विद्यालय में सम्पन्न हुई । जिसमें बैतूल जिले के 75 ग्रामों से 300 से अधिक पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने वर्षाजल संरक्षण के गुर सीखे ।
आजादी के अमृत महोत्सव में जिले की 75 पहाड़ियों को पुनः हरा-भरा बनाने के संकल्प को लेकर शुरू हुआ गंगावतरण अभियान के अन्तर्गत पहाड़ियों पर जनभागीदारी से वर्षाजल रोकने व पौधारोपण करने के लिए 75 हजार जल संरचनाओं का निर्माण किया जायेगा । इसके लिए जिले की 75 पहाड़ियों का चयन कर ग्रामों में जलशक्ति टोलियों का गठन किया गया है । इन जलशक्ति टोलियों का दो दिवसीय प्रशिक्षण भारत भारती में आयोजित किया गया ।
उद्घाटन सत्र में जनजाति शिक्षा के राष्ट्रीय सह संयोजक श्री बुधपाल सिंह ठाकुर, गंगावतरण अभियान के संयोजक जल प्रहरी मोहन नागर, गायत्री परिवार के जिला पर्यावरण प्रमुख श्री अमोल पानकर, सत्य साईं सेवा समिति के श्री संजीव शर्मा, जनजाति शिक्षा के प्रान्त प्रमुख श्री रूप सिंह लोहाने, जन अभियान परिषद के श्री संतोष राजपूत, श्री पवन परते प्रमुख रूप से उपस्थित थे ।
प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए गंगावतरण अभियान के संयोजक जल प्रहरी मोहन नागर ने कहा कि वर्षाकाल में अधिकांश जल बह जाता है तथा बाद में बड़े बाँध बनाकर उसे रोकना और नहरों के माध्यम से पुनः लाने का प्रयास करना बहुत महंगा सौदा है । जिसमें अथाह धनराशि व हजारों हेक्टेयर जमीन बरबाद होती है । गाँव और जंगल की धरती पर गिरने वाले वर्षाजल को अगर छोटी-छोटी जल संरचनाएँ बनाकर रोक लिया जाये तो जल संकट से मुक्ति मिल सकती है । इसके लिए शासन के साथ जनभागीदारी आवश्यक है । वर्षाजल की बूंदे जिस धरती पर गिरती है उसे वहीं जमीन में उतारना जल प्रबन्धन का प्रथम सूत्र है । इसके लिए पहाड़ों पर खंतियाँ खोदकर वर्षाजल जमीन के पेट में उतारना सबसे आसान कार्य है । श्री नागर ने कहा कि हर गाँव में कोई न कोई पहाड़ी है जो उस गाँव की प्राकृतिक रूप से बनी पानी की टंकी है । पहाड़ों पर जब घने जंगल थे तब वर्षाजल अपने आप पहाड़ों पर रुकता था । अब हमें विभिन्न जल संरचनाएँ बनाकर इन प्राकृतिक पानी की टंकियों को वर्षाजल से भरना होगा ताकि हमें वर्षभर जल मिलता रहे ।
श्री नागर ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में विद्या भारती ने 75 पहाड़ियों पर जल महोत्सव मनाने का निश्चय किया है । जहाँ श्रमदान से जल संरचनाओं का निर्माण किया जायेगा ।
गायत्री परिवार के पर्यावरण प्रकोष्ठ के प्रमुख श्री अमोल पानकर ने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि हम अपने गाँव से निकलने वाले नदी को सदानीरा बनाने का प्रयास करें । जनजाति शिक्षा के राष्ट्रीय सह संयोजक श्री बुधपाल सिंह ठाकुर ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने अनेक ग्रामों के नाम पानी को लेकर रखें हैं लैकिन नई पीढ़ी की उपेक्षा के कारण उन ग्रामों की धरती जलविहीन होती जा रही है । हमें सभी ग्रामों को जलयुक्त बनाना होगा । श्री संतोष राजपूत ने भी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित किया । सत्र का संचालन नागोराव सिरसाम ने किया ।
द्वितीय सत्र में मोहन नागर ने पीपीटी के माध्यम से पहाड़ों पर वर्षाजल रोकने की विभिन्न विधियों का प्रशिक्षण दिया ।
कार्यशाला के दूसरे दिन सभी प्रशिक्षणार्थी व आसपास ग्रामीण क्षेत्र के श्रमदानी कार्यकर्ता रविवार को प्रातः 7 बजे गैंची-फावड़ा लेकर रैली के माध्यम से निकट के ग्राम लापझिरी की कढाईदेव पहाड़ी पर श्रमदान हेतु पहुँचे । जहाँ आसपास के ग्रामवासियों के साथ लगभग चार सौ श्रमदानियों ने लगातार दो घण्टे पसीना बहाकर 150 से अधिक खंतियाँ खोदी । श्रमदान में प्रशिक्षणार्थियों के अतिरिक्त जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री हंसराज धुर्वे, आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के सरपंच, उप सरपंच , अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ श्री आशीष अलोने, राजेश भदौरिया, भारत भारती आवासीय विद्यालय के प्राचार्य गोविन्द कारपेंटर, अधीक्षक जितेन्द्र तिवारी तथा आचार्यगण, भारत भारती आईटीआई के प्राचार्य विकास विश्वास, जनजाति शिक्षा के जिला प्रमुख नागोराव सिरसाम, राजेश वर्टी, बाजीराम यादव, सुनील वाड़ीबा, अनिल उइके सहित 75 ग्राम की जलशक्ति टोलियों के कार्यकर्ताओं ने श्रमदान में सहभाग किया । इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री हंसराज धुर्वे, श्री बुधपाल सिंह ठाकुर व ग्राम के सरपंच ने #गंगावतरण_अभियान के कार्यों की सराहना की ।
समापन सत्र में कार्यकर्ताओं ने अपने गाँव की पहाड़ियों जल संरचनाओं के निर्माण की कार्ययोजना प्रस्तुत की । श्री रूप सिंह लोहाने ने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया वे इस कार्य को प्राथमिकता से करें । मार्च माह में सभी 75 पहाड़ियों पर कार्य प्रारम्भ हो जायेगा । समापन कार्यक्रम का संचालन अनिल उइके ने व आभार संजू कवड़े किया ।