पीडिता की सहमति से बनाये गये शारीरिक संबंध भी नहीं बचा पाये आरोपी को बलात्कार के अपराध से
अनुसूचित जनजाति की 13 वर्षीय अवयस्क बालिका का व्यपहरण कर उसके साथ बार-बार बलात्कार करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास एवं जुर्माने से दंडित किया गया
बैतुल। माननीय विशेष न्यायाधीश, अनन्य विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट ) 2012 बैतूल (म.प्र.), ने अनुसूचित जनजाति की 13 वर्षीया पीड़िता को बहला फुसलाकर व्यपहरण कर उसके साथ बार-बार बलात्कार करने वाले आरोपी लवकेश उर्फ लोकेश उम्र 25 वर्ष, पिता छन्नू चौहान, निवासी (पीड़िता का गांव) थाना भैंसदेही, जिला बैतूल (म.प्र.) को धारा 3(2)(V) एस.सी. / एस.टी. एक्ट सहपठित धारा 376 (2) (एन) भादवि मे दोषी पाते हुए आजीवन कारावास 2000 /- रूपये का जुर्माना, धारा 6 सहपठित धारा 5 (जे) (ii) पॉक्सो एक्ट में 10 वर्ष का कठोर कारावास 2000/- रूपये, धारा 376 (2) (एन) भादवि मे 10 वर्ष का कठोर कारावास 2000/- रूपये, धारा 366 भादवि में 05 वर्ष का कठोर कारावास 1000/- रूपये, धारा 3( 2 ) (va) एस.सी./एस.टी. एक्ट सहपठित धारा 363 भादवि में दोषी पाते हुये 04 वर्ष का कठोर कारावास एवं 1000 रूपये जुर्माना से दंडित किया गया। प्रकरण में म.प्र. शासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी / विशेष लोक अभियोजक श्री एस.पी.वर्मा एवं वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी / विशेष लोक अभियोजक श्री ओमप्रकाश सूर्यवंशी द्वारा पैरवी कार्य किया गया।
अभियोजन का मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि पीड़िता के पिता ने दिनांक 29/12/2017 को पुलिस थाना मोहदा मे इस आशय कि मौखिक रिपोर्ट दर्ज करायी कि दिनांक 27/12/2017 को उसके घर पर सिडोली का कार्यक्रम था रात्रि करीब 01:00 बजे तक उसकी लड़की पीड़िता घर पर ही थी किंतु उसके बाद वह घर पर नही मिली तब अगले दिन सुबह गांव मे एवं रिश्तेदारी मे तलाश किया परंतु पीड़िता नही मिली। उसे शंका है कि गांव का लोकेश पिता छन्नू चौहान उसकी लड़की को बहला फुसला कर ले गया है। क्योंकि लोकेश भी गांव मे नही है। उक्त रिपोर्ट पर थाना मोहदा मे आरोपी के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कर विवेचना की गई विवेचना के दौरान दिनांक 22/12/2018 को पीड़िता को दस्तयाब किया गया। पीडिता के धारा 164, 161 द.प्र.सं. के कथन लेखबद्ध किये गये पीड़िता ने उसके कथन मे बताया कि वह एक वर्ष पूर्व आरोपी लोकेश के साथ ग्राम बेला चली गई थी और वहां से आरोपी पीड़िता को नागपुर ले गया था। वह आरोपी के साथ पत्नी बनकर रही और उसकी मर्जी से उसने शारीरिक संबंध बनाया, जिससे उसे एक लड़की हुई पीड़िता अपने स्वयं की मर्जी से आरोपी के साथ गई थी परंतु पीडिता अवयस्क थी इसलिये उसकी सम्मति / सहमति का विधि मे कोई महत्व ना होने तथा प्रकरण में प्रस्तुत डी.एन.ए. रिपोर्ट के परिणामनुसार पीडिता एवं आरोपी के मध्य शारीरिक संबंध बनना प्रमाणित होना और पीड़िता के जन्मे नवजात बालक का डी.एन.ए. आरोपी के डी.एन.ए. से मिलान होने और यह बालक आरोपी एवं पीड़िता का जैविक पुत्र होने से अभियोजन का मामला युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित पाकर माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को दंडित किया गया। पुलिस थाना मोहदा द्वारा आवश्यक अनुसंधान पूर्णकर विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय अनन्य विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) बैतूल म.प्र. के समक्ष विचारण हेतु प्रस्तुत किया गया। विचारण मे अभियोजन ने अपना मामला युक्तियुक्त संदेह से प्रमाणित किया जिसके आधार पर माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को दंडित किया गया।