भूस्खलन के बाद 18 घंटे का जाम भी बैतूल की बेटियों को अंतराष्ट्रीय सीमा पर रक्षाबंधन मनाने से रोक नहीं पाया
फौजियों की सूनी कलाइयों पर बंधी राखी,तो नम हुई आंखें..बोले लगा सरहद पर परिवार आ गया
भारत, चीन, म्यांमार, तिब्बत सीमा से 5 सितंबर को बैतूल लौटेगा सरहदी दल
बैतूल। भारत,चीन म्यांमार,तिब्बत अंतराष्ट्रीय सीमा पर देश की सुरक्षा के लिए तैनात जवानों के साथ रक्षा बंधन का त्योहार मनाने बैतूल से निकले 15 सदस्यीय दल को यह अंदेशा भी नहीं था कि सड़क पर एक बड़े पहाड़ के धसक जाने से मंजिल पर पहुंचने से पहले ही उन्हें 18 घंटे से अधिक वक्त अरुणाचल प्रदेश के टेंगा गांव में बिताना पड़ेगा।
भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदा भी बैतूल की बेटियों का हौसला कम नहीं कर पाई। हालांकि 29 अगस्त की दोपहर में भारत चीन सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात आईटीबीपी की 55वी बटालियन के बीच दल को पहुंचना था, लेकिन सरहदी दल 30 अगस्त को सुबह 10 बजे तवांग पहुंचा और सैनिकों के साथ रक्षा बंधन मनाने का संकल्प पूरा किया।
बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति के राष्ट्र रक्षा मिशन का यह 24वा पड़ाव था जो चार देशों की सीमा पर तवांग में पूरा हुआ। समिति अध्यक्ष ने बैतूल की सरहदी बेटियों के संकल्प को पूरा करने में सहयोग करने वाले सभी संस्थानों, सहयोगियों सहित आइटीबीपी सेक्टर तेजपुर के डी आई जी, सेनानी श्री विक्रांत, डी सी श्री राजेंद्र, श्री अवस्थी सहित स्टाफ के प्रति आभार माना।
आर्मी और आईटीबीपी के साथ चला 3 दिनों तक त्योहार मनाने का सिलसिला
बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति के 15 सदस्यीय दल ने इस बार 29 अगस्त को जाट रेजीमेंट के साथ राखी सेलिब्रेशन किया वही 30अगस्त को आईटीबीपी की 55 बटालियन के जवानों के साथ तवांग में और 31 अगस्त को सीमा चौकी सेंगेस्टर के जवानों की सूनी कलाई पर राखी बांधी और बैतूल सहित शहडोल, सीहोर की बहनों, स्कूली बच्चों और सामाजिक संगठनों से प्राप्त राखी, मिठाई और शुभकामना संदेश सौंपे।आत्मीय माहौल में रक्षा बंधन का त्योहार जिस तरह से मनाया गया उसे देख सैनिकों की आंखे नम हो गई तो कुछ ने कहा उन्हें लगा जैसे सरहद पर दो दिनों के लिए परिवार आ गया हो। गौरतलब है कि गौरी बालापुरे, भारत पदम वा जमुना पंडाग्रे के नेतृत्व में नीलेश उपासे,निशि राठौर,अरूणा पाटनकर,अरूण सूर्यवंशी,प्रियंका पंडोले
हर्षित पंडाग्रे, मेहरप्रभा परमार
आकृति परमार,प्रचिति कमाविसदार,प्रज्ञा झगेकर,दिव्या देशमुख, चैतन्य पंडाग्रे राष्ट्र रक्षा मिशन 2023 में शामिल हुए जो 5 सितंबर को सुबह 11 से 12 बजे के बीच बैतूल लौटेंगे।
भूस्खलन के कारण 18 घंटे की देरी फिर भी पूरा किया संकल्प
अरुणाचल प्रदेश के टेंगा गांव के पास एक पहाड़ लगातार 8 दिनों से हो रही बारिश की वजह से धसक गया। जिस स्थान पर बैतूल के दल की गाड़ियां फसी थी वही से कुछ दूरी पर आर्मी की जाट रेजीमेंट मौजूद थी।
मुश्किल में फंसे नागरिकों को जाट रेजीमेंट के जवानों ने चाय, नाश्ता, भोजन कराया। समिति अध्यक्ष गौरी बालापुरे के आग्रह को स्वीकार करते हुए 29 अगस्त को रेजीमेंट के जवानों के साथ रक्षा बंधन मनाया। इसके अलावा सेंगेस्टर बीओपी से वापस लौटते वक्त 31 अगस्त को मराठा रेजीमेंट के जवानों के साथ भी राष्ट्र रक्षा मिशन दल ने त्योहार मनाया।
शहीद जसवंत सिंह स्मारक और विश्व प्रसिद्ध मोनेस्टी के किए दर्शन
तवांग से 40किमी पहले बाबा जसवंत सिंह के स्मारक के भी राष्ट्र रक्षा मिशन ने दर्शन किए। बाबा जसवंत सिंह ने चीन के 300 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। युद्ध के दौरान गोलियां लगने से वे शहीद हुए।जिस पेड़ के नीचे बाबा जसवंत ने अंतिम सांस ली उस स्थल और पेड़ को स्मारक का स्वरूप दिया गया है। उनकी वर्दी, बंदूक, उन्हें लगी गोलियां, मैडल, टोपी स्मारक पर दर्शन के लिए रखे गए है। बाबा जसवंत ने जिन 300 सैनिकों को मारा था उनके शव चीन ने लेने से मना कर दिया सैनिक सम्मान देते हुए इन 300 सैनिकों को भी बाबा जसवंत के मंदिर के पास ही दफनाया गया है। सैन्य जीवन की कठिनाई को आम नागरिक जान सके इसलिए एक बंकर भी यहां बनाया गया है।जिसमें एक सैनिक के ड्यूटी के दौरान के अनुशासन और दिनचर्या को रेखांकित किया गया है। इसके अलावा विश्व दूसरी सबसे बड़ी मोनेस्ट्री के दर्शन करने का भी अवसर दल को मिला। यात्रा के दौरान भूकंप की वजह से निर्मित हुई सेंगेस्टर झील जो कोयला मूवी की शूटिंग के बाद माधुरी झील के नाम से प्रसिद्ध हुई इस झील की भी दल ने विजिट की। कारगिल युद्ध के बाद से सेना की हौसला अफजाई के लिए रक्षा बंधन का त्यौहार देश की अंतराष्ट्रीय सीमा पर मनाने वाली इस समिति ने तवांग में 24 वा पड़ाव पूरा किया।