ऋण का नया नाम है इ ऍम आयी जानते है वास्तु शास्त्री सुमित्राजी से दरिद्र योग के बारे में

RAKESH SONI

ऋण का नया नाम है इ ऍम आयी जानते है वास्तु शास्त्री सुमित्राजी से दरिद्र योग के बारे में

सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल
कोलकाता

कोलकाता। पहले की अपेक्षा आज का मानव ऋण लेने में माहिर है कुछ तो मज़बूरी में लेते है और कुछ के फैशन का हिस्सा बन गया है ऋण लेना। सबसे अनूठी बात की बड़ी बड़ी कम्पनियाँ , ऑनलाइन स्टोर , मॉल सब आपको अपनी जेब से अधिक खरीदने की ओर अग्रसर करते है। इ ऍम ए आज हर जीवन का हिस्सा बन चुकी है।
क्या हर व्यक्ति जो ऋण लेता है उसे उतरने में सक्षम होता है ?
व्यक्ति जब ऋण लेगा तो उसे उतार पाएगा या नहीं उतार पाएगा यह उसकी जन्म पत्रिका पर निर्भर करता है। ऋण होना कई बार व्यक्ति के स्वयं के हाथ में नहीं रहता बल्कि ऋणी बने रहना उसकी विवशता हो जाती है। ऐसा तब होता है जब व्यक्ति की जन्म पत्रिका में दरिद्र योग मौजूद हों। ऐसा व्यक्ति चाहते हुए भी कर्ज नहीं उतार पाता। एक ना एक कर्ज उस पर सदा बना रहता है।

जन्मपत्रिका में कैसे बनते है दरिद्र योग ?

1. यदि लग्न और द्वादश भाव के स्वामियों में परस्पर व्यत्यय हो तथा उनका संबंध सप्तमेश से किसी भांति हो जाए तो व्यक्ति दरिद्र बना रहता है।

2. यदि लग्नेश और षष्ठेश में परस्पर व्यत्यय हो तथा चंद्रमा द्वितीय अथवा सप्तम भाव के स्वामी से दृष्ट हो।

3. यदि केतु और चंद्रमा लग्न में स्थित हो तो भी व्यक्ति दरिद्र बना रहता है।

4. यदि लग्नेश, अष्टमेश द्वारा दृष्ट हो अथवा द्वितीय और सप्तम भाव के स्वामी से पुति करे ।

5. यदि लग्नेश का संबंध छठे, आठवें अथवा बारहवें भाव के स्वामी से हो जाए, लग्नेश पाप दृष्ट हो, द्वितीयेश अथवा सप्तमेश से युत हो।

6. यदि पंचमेश छठे, आठवें अथवा बारहवें भाव के स्वामी से युति करे और उस पर कोई शुभ दृष्टि ना हो।

7. यदि पंचमेश, छठे भाव में हो अथवा दशमेश पर द्वितीयेश पठेश, सप्तमेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश की दृष्टि हो।

8. यदि लग्नेश और नवांश लग्नेश छठे, आठवें अथवा बारहवें भाव में स्थित हों और द्वितीयेश या सप्तमेश से युति अथवा दृष्टि संबंध बनाएं। उपर्युक्त सभी योगों में से किसी भी एक जन्म पत्रिका में होने पर व्यक्ति सदैव आर्थिक दबाव में रहता है और सदैव दरिद्र बना रहता है।

कौन ऋण चुका पाते हैं ?

जब दूसरे भाव का स्वामी या दूसरे भाव में स्थित ग्रह छठे, आठवें, बारहवें के स्वामी या उनमें स्थित ग्रह से बलवान हों तो व्यक्ति कितना भी बड़ा कर्जा हो, उसे चुकाने में सक्षम हो जाता है।

कब चुका पाएंगे ऋण ?

जब दुःस्थानों को गोचर में मजबूत शुभ ग्रह देखें, तब कर्ज चुकाने के योग बनते हैं।

इस चकाचौंद की दुनिया में समर्थता से आगे भागने वाले अक्सर एक ऐसे माया जाल में फ़स कर रह जाते है की जीवन की सुंदरता का अनुभव ही नहीं कर पाते। एक कहावत हमने पढ़ी थी “पैर उतना ही पसारे जितनी बड़ी हमारी चादर हो” पर आज की आपाधापी में ये कहावत भी मानवीय गुणों की तरह लुप्त होती जा रही है। अगली बार जब आप ऑनलाइन शॉपिंग करने बैठे या घूमने मॉल जाएं तो क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने से पहले सोचे की क्या एक और ऋण लेना जरुरी है। आज बढ़ रहे हार्ट अटैक का कारण भी कही न कही इ ऍम ए का दबाव है।

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