कॉलेज के विद्यार्थियों ने सुपरफूड मशरूम उगाना सीखा

RAKESH SONI

कॉलेज के विद्यार्थियों ने सुपरफूड मशरूम उगाना सीखाकॉलेज के विद्यार्थियों ने सुपरफूड मशरूम उगाना सीखा

मशरूम उत्पादन: सेहत एवं स्वरोजगार साथ साथ’ विषय पर प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ आयोजन

शाहपुर। सरकारी कॉलेज शाहपुर में आंतरिक गुणवत्ता सुनश्चयन प्रकोष्ठ एवं रिसर्च सेल के संयुक्त तत्वाधान में मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन परियोजना के अंतर्गत सोमवार को महाविद्यालय के सभागृह में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला विषय ‘मशरूम उत्पादन- सेहत एवं स्वरोजगार साथ साथ’ का आयोजन किया गया। कार्यशाला के प्रारंभ में स्वागत भाषण में प्राचार्य प्रोफेसर एम डी वाघमारे ने मशरूम उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाने की सलाह देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने इसे एक सुपरफूड माना है। जिसके विभिन्न व्यंजन मध्यान्ह भोजन में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। हम इसे रोजगार के रूप में अपना कर आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की दिशा में बढ सकते हैं।

 

*मशरूम उत्पादन स्वरोजगार का एक बेहतरीन विकल्प*

मुख्य प्रशिक्षक रामकिशोर कहार विक्रम मशरूम केंद्र सिलपटी, शाहपुर ने कहा कि मशरूम उत्पादन में 15 x 20 फीट के एक कमरे में मल्टीलेयरीन्ग द्वारा पांच सौ पैकेट से साठ से पचहत्तर हजार की न्यूनतम आय प्रति दो माह में की जा सकती है। इसका उत्पादन कच्चे अथवा पक्के किसी भी कमरे में किया जा सकता है।

 

*मशरूम नहीं है मांसाहार*

कार्यशाला के द्वितीय प्रशिक्षक विक्रम भनारे ने मशरूम को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों के बारे में भी बताया कि लोगों में यह भ्रांति है कि यह एक मांसाहार है जबकि मशरूम एक खाने योग्य प्रोटीन युक्त एवं पोषक तत्वों से भरपूर कवक आहार है।

 

*उत्तम प्रोटीन आहार है मशरूम*

कार्यक्रम के प्रभारी एवं आइक्यूएसी समन्वयक डॉ शीतल चौधरी ने मशरूम में उपस्थित प्रोटीन की महत्ता के साथ-साथ फोलिक एसिड, विटामिन बी 2, पोटेशियम, कॉपर और जिंक के साथ-साथ विटामिन डी की उपलब्धता व शरीर के विकास में इनकी भूमिका के बारे में विद्यार्थियों को बताया।

 

विटामिन डी का है गैर जंतु स्रोत

कार्यशाला के प्रायोगिक सत्र में द्वितीय प्रशिक्षक विक्रम भनारे द्वारा मशरूम पैकेट कैसे तैयार करते हैं? स्पानिन्ग की प्रक्रिया विद्यार्थियों के समक्ष प्रदर्शित की गई। साथ ही उन्होंने बताया कि सामान्यतः सब्जियों में विटामिन डी ना के बराबर देखने को मिलता है। यह जंतु स्रोतों में बहुतायत में पाया जाता है, परंतु मशरूम में विटामिन डी का होना इसकी पौष्टिकता को कई गुना बढ़ा देता है।

अंत में आभार प्रदर्शन विश्व बैंक परियोजना प्रभारी डॉ नितेश पाल द्वारा किया गया। प्रशिक्षण कार्यशाला में समाजसेवी ऋषि पाल सिंह जादौन, प्रदीप पंद्राम सहायक प्राध्यापक शासकीय महाविद्यालय सारनी, प्रो. चंद्र किशोर बाघमारे, प्रो. अजाबराव इवने, डॉ.सुभाष वर्मा, विवेक राठौर, सौरभ गुप्ता एवं लगभग 110 विद्यार्थी उपस्थित थे।

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