कोल इंडिया का अस्तित्व खतरे में , विघटन होना शुरू
सीएमपीडीआईएल को अलग करने के प्रस्ताव पर कोयला मंत्रालय ने लगाई मोहर।
सारणी। सेंट्रल माइन डिजाइनिंग प्लानिंग इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआईएल) व मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमईसीएल) के विलय कर कोल इंडिया का विघटन (डिसिंटीग्रेशन) की शुरुआत हो गई है। डॉ मोदी ने बताया की एटक यूनियन ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के खोज, योजना और डिजाइन इकाई सीएपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने के ज़ारी पत्र पर व्यापक रूप से विरोध कर भारत सरकार के कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि सीएमपीडीआईएल को कोल इंडिया से अलग करने के प्रस्ताव का मकसद निजी परामर्श कंपनियों के लिये रास्ता साफ करना है। एटक कोल उद्योग के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ कृष्णा मोदी ने कहा कि इस तरह के निर्णय से पहले श्रमिक संगठनों से राय ली जानी चाहिए थी । कोल इंडिया देश के लिए प्रॉफिट मेकिंग पीएसयू है। सीएमपीडीआईएल का विलय हो गया तो कोल इंडिया की अन्य अनुषंगी कंपनियों को भी कोल इंडिया से अलग करने का काम तेजी से शुरू हो जाएगा। डॉ मोदी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमईसीएल खनिज खोज कार्यों से जुड़ी है। वही सीएमपीडीआईएल की एक तिहाई आय कोयेला खोज कार्यों से है और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कोल इंडिया की योजना और डिजाइन इकाई का शेष दो तिहाई खोज का काम भी देश के लिये महत्वपूर्ण है।
2010 से विलय करने की तैयारी चालू है।
सीएमपीडीआईएल-एमईसीएल विलय का प्रस्ताव नया नहीं है। एक दशक पूर्व इसकी शुरूआत हुई थी। पहले योजना आयोग ने कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों के स्वतंत्र अस्तित्व की वकालत करते हुए सरकार से सिफारिश की थी अनुषंगी कंपनियों को प्रतियोगिता का माहौल देने के लिए अलग कर दिया जाए। इससे कोयला उत्पादन में वृद्धि होगी। योजना आयोग ने तो तब बीसीसीएल को सेल के हवाले करने की सिफारिश की थी। योजना आयोग की जगह जब नीति आयोग अस्तित्व में आया तो उसी लाइन पर कोयला कंपनियों के स्वतंत्र अस्तित्व का पक्ष लिया। यूनियनों का मानना है कि कोल इंडिया से अलग किए जाने पर बीसीसीएल एवं ईसीएल जैसी आर्थिक रुप से कमजोर कंपनियां खत्म हो जाएंगी। ट्रेड यूनियनों को सीएमपीडीआईएल के मर्जर की पहले से थी आशंका थी इस लिए जेबीसीसीआई 11 के चार्टर आफ डिमांड में इसके खिलाफ मांग को शामिल किया गया था।