पद्मश्री दामोदर गणेश बापट जी की चतुर्थ पुण्यतिथि मनाई।

आमला। पद्मश्री दामोदर गणेश बापट जी की चतुर्थ पुण्यतिथि पर आमला के वरिष्ट लोगो ने सोसाइटी के सामने स्थित भवन में श्रद्धांजलि देकर उनको याद किया इस अवसर पर उनको करीब से जानने वाले दीपक कारले जी ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला और समाज कल्याण के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों को बताया । उन्होंने ये भी बताया की बचपन से ही उनके मन में सेवा की भावना थी। इसलिए वह नौ साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़ गए। शिक्षक के रुप में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की और वो आदीवासी इलाकों में बच्चों को पढ़ाते थे। इस दौरान वह मरीजों से भी मिलने के लिए जाया करते थे।
वह आश्रम में करते थे कुष्ठ रोगियों की सेवा
छत्तीसगढ़ के चांपा से आठ किलोमीटर दूर ग्राम सोठी में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ द्वारा संचालित आश्रम में कुष्ठ रोगियों की सेवा करते थे। इस कुष्ठ आश्रम की शुरुआत 1962 में कुष्ठ पीड़ित सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे ने की थी। 1972 में यहां वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता गणेश बापट पहुंचे और कात्रे जी के साथ मिलकर उन्होंने कुष्ठ पीड़ितों के इलाज और उनके सामाजिक आर्थिक पुनर्वास के लिए सेवा के साथ कई कार्यक्रमों की शुरुआत भी की।
पद्मश्री दामोदर गणेश बापट जी सिद्धान्तों को जीवन का हिस्सा मानकर चलते थे. उन्होंने सिद्धान्तों को केवल शब्दों में नहीं रहने दिया, बल्कि उसका अपने जीवनपर्यन्त पालन किया. बापट जी को शब्दों में बांधना मुश्किल है. ऐसा करने कहीं न कहीं अपूर्णता रह जाएगी ।