विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर जिला चिकित्सालय में रक्तदान शिविर आयोजित
कलेक्टर एवं सीईओ जिपं ने किया रक्तदान
बैतुल। जिला चिकित्सालय में १४ जून को विश्व रक्तदाता दिवस आयोजित किया गया। इस अवसर पर जिला कलेक्टर श्री अमनबीर सिंह बैंस, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री अभिलाष मिश्रा द्वारा रक्तदान किया गया।
इस वर्ष की थीम ‘‘रक्त दो, प्लाज्मा दो, जीवन साझा करो, अक्सर साझा करो (गिव ब्लड, गिव प्लाज्मा, शेयर लाइफ, शेयर ऑफन) निर्धारित की गई है। इस अवसर पर कलेक्टर श्री बैंस ने बताया कि रक्तदान महादान माना जाता है क्योंकि रक्तदान से लोगों को नई जिंदगी मिलती है और समाज रक्तदाता के इस सराहनीय कार्य को हमेशा याद रखता है। रक्तदान से न तो शरीर में बीमारी आती है न शरीर कमजोर पड़ता है, और न ही एच.आई.व्ही. होने का खतरा होता है। रक्तदान करने से ह्नदयाघात होने की संभावनाऐं कम होती हैं, क्योंकि रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है। वजन कम करने में मदद मिलती है, शरीर में नये ब्लड सेल्स बनने के कारण तंदुरूस्ती आती है। लिवर से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है, आयरन की मात्रा संतुलित रहती है, कैंसर का खतरा कम रहता है, इसलिये जीवन रक्षा हेतु रक्तदान अवश्य करें। किसी की जिंदगी बचाकर हम एक नेक कार्य करते हैं।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्री अभिलाष मिश्रा ने बताया कि विश्व रक्तदाता दिवस जरूरतमंद व्यक्तियों के लिये रक्त की जरूरत को पूरा करने के लिये मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष ऐसे अभियानों से अनेकों लोगों की जान बचती है और अन्य लोगों के ह्नदयों में रक्तदान के प्रति प्रेरणा की अलख भी जाग जाती है। रक्तदान से दो चेहरों पर मुस्कुराहट खिलती है- एक रक्तदान करने वाले व्यक्ति के चेहरे पर और दूसरा रक्त प्राप्त करने वाले व्यक्ति के चेहरे पर, इसलिये हमारा प्रयास होना चाहिये कि हम सदैव मुस्कुराहट के साथ रहें।
सीएमएचओ डॉ. सुरेश बौद्ध ने बताया कि महान वैज्ञानिक कार्ल लेण्डस्टाइन का जन्म 14 जून 1868 को हुआ था और उन्होंने मानव रक्त में उपस्थित एग्ल्यूटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तकणों का ए,बी,और ओ. रक्त समूह की पहचान की थी। रक्त के इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसी खोज के लिये कार्ल लेण्डस्टाइन को 1930 में नोवल पुरूस्कार दिया गया। इसलिये उनकी याद में पूरा विश्व रक्तदाता दिवस मनाता है। रक्तदान मानव संतुष्टि है। रक्तदान से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिये- रक्तदाता का वजन 45 से 50 किलोग्राम से कम न हो, 18 वर्ष की आयु के बाद ही रक्तदान करें, रक्त देने से 24 घण्टे पहले से ही शराब, धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन न करें, स्वयं की मेडिकल जांच करा लें, सुनिश्चित करें कि आपको कोई बीमारी न हो, रक्तदान करने से पहले अच्छी नींद ले, तला हुआ खाना और आइसक्रीम न खायें।
सिविल सर्जन डॉ जगदीश घोरे ने बताया कि रक्तदाता दिवस मनाने का उद्देश्य अधिक से अधिक स्वस्थ व्यक्तियों को स्वैच्छिक रक्तदाता बनाना और दूसरों को भी रक्तदान के लिये प्रोत्साहित करना है।
सिविल सर्जन सहित अन्य चिकित्सालयीन स्टाफ, रक्तदान समितियों के सदस्यों एवं नागरिकों द्वारा भी रक्तदान किया गया। उपस्थित समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों एवं रक्तदान समिति के सदस्यों द्वारा रक्तदान जागरूकता शपथ भी ली गई। शिविर में श्री मोइज फखरी द्वारा 80 वी बार रक्तदान किया गया। इनका रक्त समूह ’’ओ’’ निगेटिव दुर्लभ रक्त समूह के अंतर्गत आता है।
इस अवसर पर ब्लड बैंक नोडल ऑफीसर डॉ विनय दुबे, रेडक्रास सोसायटी से डॉ. अरूण जयसिंहपुरे, श्री शैलेन्द्र बिहारिया रक्तमित्र, रक्त कोष स्टाफ एवं रक्तदान समिति के सदस्यगण उपस्थित रहे।