कला वह है जो बुराईयों के बंधन काटकर मुक्ति प्रदान करती है। कला साधक संगम बेंगलूरू में आयोजित।
सारनी। ललित कला और साहित्य की अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती द्वारा आगामी फरवरी 2024 में बेंगलूरू में कला साधक संगम का आयोजन किया गया है। कला वह है जो बुराईयों के बंधन काटकर मुक्ति प्रदान करती है । अर्थात सा कला या विमुक्तये ।संस्कार भारती का ध्येय वाक्य है। इसी उद्देश्य के लिए संस्कार भारती की स्थापना की गई है।मध्य भारत प्रांत के सह महामंत्री मोतीलाल कुशवाह ने बताया कि एक फरवरी से चार फरवरी- 24 तक चार दिवसीय अखिल भारतीय कला साधक संगम का कार्यक्रम आयोजित किया है। जिसमें देश के सभी प्रांतो से संस्कार भारती के अपेक्षित पदाधिकारी , सदस्य उपस्थित रहेंगे । उल्लेखनीय है कि 2 दिन इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक माननीय मोहन राव भागवत जी का मार्गदर्शन भी मिलने वाला है। पूर्वोत्तर भारत से लेकर उत्तर भारत के साथ ही सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व इस कार्यक्रम में होने की संभावना है। श्री मोतीलाल कुशवाह प्रांत सह-महामंत्री ने बताया कि ललित कला के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने के उद्देश्य से संस्कार भारती की स्थापना 1981 में लखनऊ में की गई। संस्कार भारती के पृष्ठ भूमि में स्व.भाऊराव देवरस,हरिभाऊ वाकणकर, बाबा योगेन्द्र जी का चिंतन और मनन था। सन 1990 से विभिन्न विधा को लेकर कला साधक संगम के अधिवेशन प्रत्येक वर्ष कला साधक संगम के रूप में आयोजित किये जा रहे हैं। जिसमें नृत्य,नाटक,संगीत,साहित्य विधाओ का समावेश रहता है। देश में 1200 से अधिक इकाई कार्य कर रही है। श्री कुशवाह ने बताया कि मध्य भारत प्रांत से लगभग 40 सदस्य बेंगलूरू में आयोजित कला साधक संगम अधिवेशन में सम्मिलित होंगे।