तीन बातों का पालन करने वाला व्यक्ति जीवन में कुछ भी कर सकता है – पूज्यश्री प्रेमभूषण जी महाराज

RAKESH SONI

तीन बातों का पालन करने वाला व्यक्ति जीवन में कुछ भी कर सकता है :- पूज्यश्री प्रेमभूषण जी महाराज

सारणी। हमारे सनातन सदग्रंथ हमें जीवन जीने की कला सिखाते रहे हैं। सदग्रंथों की बात मानकर अपने जीवन में चलने वाला व्यक्ति सदा सफल होता है। आप अगर अपने जीवन में सचमुच सफल होना चाहते हैं तो सबसे पहले अपनी निद्रा पर काबू करें, दूसरा भोजन के मामले में कभी भी आनाकानी ना करें, जो मिले वह खाएं और अपने साथ किसी प्रकार की मजबूरी लाद कर नहीं चलें। उक्त बातें बैतूल के सारनी में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा की पूर्णाहुति के दिन की कथा के क्रम में व्यासपीठ से पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने कही। श्री रामकथा के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि उपरोक्त सिद्धांत पोरस ने सिकंदर को बतायी थी। और मानस में हम श्री हनुमानजी के व्यवहार से सीखते हैं।

पूज्यश्री ने कहा कि यह संसार मनुष्य के लिए कई प्रकार की बाधाओं से भरा हुआ है। हर किसी के पास अपनी व्यथा की एक अलग ही कथा है, जिसे सुनकर हर किसी का मन विचलित होता है। लेकिन जब हम प्रभु की कथा सुनते हैं, चाहे किसी भी विधि से सुनते हैं तो मन में एक आनंद और नए उत्साह का निर्माण होता है।

महाराज जी ने कहा कि कथा तो भगवान की ही सुनने लायक है। हर जीव के पास उसकी कथा से ज्यादा उसकी व्यथा है। प्रभु की कथा हम जितनी बार सुनते हैं हमेशा नित्य नई लगती है और मन को शांति प्रदान करती है।

सुग्रीव द्वारा माता सीता का पता लगाने से संबंधित संकल्प को सुनते हुए महाराज श्री ने कहा कि सुग्रीव का संकल्प राम जी के ही भरोसे है। क्योंकि वह तो बाली के द्वारा मारकर भगाए हुए हैं और खुद ही छिपकर रह रहे हैं। फिर भी हमें यह प्रसंग बताता है कि अगर कोई हम पर भरोसा करता है तो हम भाग्यशाली हैं। क्योंकि हम भरोसा करने लायक हैं। साथ ही उस व्यक्ति के भरोसे की रक्षा करने का कर्तव्य भी बनता है और अगर कोई इस भरोसे को तोड़ता है तो व्यवहार में इसे हम कृतघ्नता कहते हैं। महाराज श्री ने कहा कि जीवन में कभी भी किसी कार्य के अपूर्ण होने से घबड़ाना नहीं चाहिए, क्योंकि हर कार्य का एक निश्चित समय होता है। और अगर किसी कारण से वह कार्य पूर्ण नहीं होता है तो भी मनुष्य को अपने प्रयास बंद नहीं करने चाहिए। हमारे शास्त्र हमें सिखाते हैं कि जीवन में मनुष्य के लिए उसका श्रम और उसका कर्म ही उसके भविष्य का निर्माण करते हैं। महाराजा सुग्रीव की ओर से कपिल सेना को दिए गए आदेश की चर्चा करते हुए महाराज श्री ने कहा कि सुग्रीव ने खाली हाथ लौटने वालों को जान से मार देने का फरमान प्रभु श्री राम के सामने सुनाया । यह प्रसंग हमें दंड विधान की अनिवार्यता के बारे में बताता है। जब तक मनुष्य के सामने किसी प्रकार के दंड का भय नहीं होता है तब तक वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठिन से कठिन कार्य करने को तैयार नहीं दिखता है। पहले विद्यालयों में शिक्षकों के भय से विद्यार्थी अपने गृह कार्य ठीक समय से और उचित ढंग से कर के ही उपस्थित होते थे। अब इस दंड विधान में आई कमी का परिणाम हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।

महाराज श्री ने अरण्य कांड, सुन्दर कांड और लंका कांड की कथा का गायन करते हुये श्री राम जी के राज्याभिषेक की कथा सुनाई। आयोजन में हजारों की संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी, भजनों का आनन्द लेते और झूमते नजर आए।

Advertisements
Advertisements
Share This Article
error: Content is protected !!