पेट की खातिर रस्सी पर मौत का खेल
(हुनर सड़कों पर तमाशा करता है किस्मत महलों में राज करती है)

बैतूल। बचपन में हम सभी ने रस्सी पर चलकर करतब दिखाते बच्चों को देखा ही होगा भले यह परंपरा लुप्त होती जा रही है किंतु वर्तमान में भी कभी कभी देखने को मिल ही जाती है। देश में खेलने कूदने और पढ़ाई लिखाई की महज 5 से 8 साल की उम्र में छोटी बच्चियां सड़कों के किनारे रस्सियों पर चलकर आज भी मौत का खेल दिखा रही है। छत्तीसगढ़ के जांजगीर चापा के बेलहाड़ी गांव से गुजराती समाज के राजनट परिवार की बिटिया दामिनी अपनी मां के साथ बैतूल के गंज क्षेत्र में काश्मीर चौक पर पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए पेट की खातिर रस्सी पर चलकर मौत का खेल दिखाने को मजबूर है जिसे देखकर लोग दातों तले उंगली दबा लेते हैं। ये बच्ची 8 से 10 फीट ऊंची रस्सी पर रिंग, थाली, चप्पल पर चलकर करतब दिखाती है।
समाजसेवी राजेश मदान से बातचीत में बच्ची दामिनी ने बताया कि वह 5 वर्ष की उम्र से ही रस्सी पर चलकर मौत का खेल दिखा रही है जिससे उसके परिवार को दिन भर में चार से पांच बार करतब दिखाने पर 200 से 300 रुपए प्रतिदिन मिल जाते हैं। आज वह 8 वर्ष की हो गई लेकिन कई साल पहले माता पिता को जो भीड़ दिखती थी वह आज नजर नहीं आती है। और जो कुछ देखते है वो उतना नहीं देते है जिससे रोजमर्रा की जरूरत पूरी हो सकें। पढ़ाई लिखाई के बारे में पूछने पर उसने बताया कि वह पढ़ाई तो करती है और कभी-कभी स्कूल भी जाती है। बड़ी होकर वह बहुत बड़ी पुलिस अधिकारी बनकर समाज की सेवा करना चाहती है। लेकिन सरकार की ओर से उनके परिवारों को किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं मिल रही है। अपनी मेहनत के दम पर ही किसी तरह गुजर बसर हो रही है। हैरतअंगेज करतब पर फिल्म दो आंखें बारह हाथ के गीत की पंक्तियां दोहराते हुए कहती है कि “मालिक है तेरे साथ न डर गम से तू ए दिल, मेहनत करें इंसान तो क्या काम है मुश्किल। गम जिसने दिए है वही गम दूर करेगा। दुनियां में हम आएं है तो जीना ही पड़ेगा जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा।” यदि इंसान एकाग्रता से अभ्यास और मेहनत करें तो कोई काम मुश्किल नहीं होता।बच्चों को मोबाईल से दूर रहने की नसीहत देते हुए कहती है कि पढ़ाई के बाद बच्चों को मोबाईल के बजाय खेल कूद में ध्यान देना चाहिए जिससे उनका अच्छी तरह विकास होगा।
श्री मदान ने शासन प्रशासन और आम जनता से पेट की खातिर अपनी जान पर खेलकर करतब दिखाने और मेहनत करने वाली बच्चियों और उनके परिवार की यथासंभव आर्थिक मदद का आग्रह किया है।
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