उत्तर वनमंडल बैतूल में नहीं थम रही वन्यप्राणियों के शिकार की घटना, सारनी में फिर जाल लगाकर पक्षियों का शिकार।

सारणी। एक तरफ मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा प्रवासी और अप्रवासी पक्षियों का महत्व बताते हुए विभिन्न अभ्यारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों में पक्षियों के सर्वेक्षण का काम किया जा रहा है और उनके संरक्षण के लिए बड़े स्तर पर मुहिम चलाई जा रही है। परंतु इसके विपरीत उत्तर वन मंडल बैतूल में पिछले तीन सालों से लगातार मछली का जाला तालाबों और जलाशयों में 20-25 फीट ऊपर लगाकर प्रवासी-आप्रवासी पक्षियों का शिकार किया जा रहा है। सारनी निवासी वन्यप्राणियों के संरक्षण का कार्य कर रहे आदिल खान ने बताया की वे रविवार शाम को रातापानी अभ्यारण में चल रहे तीन दिवसीय पक्षी सर्वेक्षण से वापस आए थे। इसके बाद सतपुड़ा जलाशय के आसपास मौजूद क्षेत्र में पक्षियों की तस्वीर लेने गए थे तभी उन्हें एक बड़ा जाल पानी के ऊपर दिखाई दिया जिसमें कुछ पक्षी भी फंसे हुए थे। इस संबंध में आदिल के माध्यम से उप वन मंडल अधिकारी सारणी विजय मौर्य को जानकारी दी गई परंतु उन के माध्यम से इसे गंभीरता से नहीं लिया गया जिसके बाद मुख्य वन संरक्षक होशंगाबाद को आदिल ने इस संबंध में सूचना दी। इसके लगभग आधा घंटे बाद उप वन मंडल अधिकारी ने मौके पर वन विभाग के अमले को भिजवाया। वन परीक्षेत्र अधिकारी अमित साहू ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारी उस क्षेत्र में छुप कर बैठे रहे और जब जाले को उतारने के लिए दो बच्चे वहां पहुंचे तो उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करि जिस पर उन्होंने पक्षियों के शिकार की बात स्वीकार की। इस मामले की जांच अभी जारी है वहीं जाले को भी वन विभाग ने जप्त कर लिया है और उसी के साथ मृत जल मुर्गी और बगुला भी बरामद किया है।
आदिल ने बताया कि तरह के कई मामले तीन साल में सामने आ चुके हैं परंतु उत्तर वन मंडलाधिकारी पुनीत गोयल के माध्यम से इन मामलों को दबाने का प्रयत्न किया जाता है, वन्य प्राणियों के संरक्षण को लेकर लगातार पुनीत गोयल के माध्यम से लापरवाही बरती जा रही है, बावजूद इसके उन पर किसी तरह की कोई कार्यवाही वन विभाग के माध्यम से नहीं की जा रही जिसका नतीजा यह है कि क्षेत्र में लगातार अवैध शिकार के मामले बढ़ रहे हैं, हालत यह है कि इस साल प्रवासी पक्षियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। आदिल ने बताया कि उत्तर वन मंडल बैतूल में गर्मियों के समय वाटर होल्स में पानी नहीं भरा गया था और पानी की तलाश में एक बाघ के शावक की पिछले साल भटक कर रेलवे ट्रैक के पास आने से ट्रेन से टकराने पर मृत्यु हो गई थी, वहीं हालही में उतर वन मंडल बैतूल के विभिन्न परिक्षेत्र में जंगली सुअर, सांभर, कछुए के शिकार और संरक्षित सांपों की हत्या के मामले भी सामने आ चुके हैं।
पहले आते थे हजारों प्रवासी पक्षी
गौरतलब है कि पहले सारनी के सतपुड़ा जलाशय में हजारों की संख्या में रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, सुर्खाब, पेंटेड स्टोर्क, नोब बिल्ड डक, नॉर्दन शेवलर इत्यादि पक्षी आया करते थे परंतु लगातार अवैध शिकार होने और चाइनीज झालर की वजह से उनके हैबिटेट को नुकसान होने की वजह से पक्षियों ने यहां आना ही छोड़ दिया और वन विभाग ने भी इस मामले में आंखें मूंद ली। पिछले तीन सालों में इस तरह के मामले सामने आने के बाद आज वन विभाग ने आदिल के दबाव के चलते और मुख्य वन संरक्षक के हस्तक्षेप के बाद दो लोगों को इस मामले में मौका स्थल से पकड़ा है।
आदिल ने बताया कि उत्तर वन मंडल अधिकारी पुनीत गोयल द्वारा गैर जिम्मेदाराना बात करते हुए पूर्व में इस तरह के जाल लगाने को मछली पकड़ने के लिए लगाया गया जाल बताया गया था, जबकि इस समय पकड़े गए आरोपियों ने पक्षियों के शिकार करने की बात को कबूल किया है। इसी से पता चलता है कि विभाग के अधिकारी किस तरह स्वयं को बचाने के लिए गंभीर मामलों को झूठ बोलकर घुमाने और दबाने का प्रयत्न करते हैं।
आदिल ने बताया कि जब उन्होंने जाल लगा हुआ देखा तब उसमें एक जल मुर्गी तड़प रही थी और एक बगुला पानी में मरा हुआ जाल में फंसा था। इसके पूर्व भी इसी तरह के जाल में चमगादड़ और किंगफिशर मृत मिले थे लगातार इस तरह से हो रहे पक्षियों के शिकार से बैतूल जिले की जैव विविधता को नुकसान पहुंच रहा है और यहां के जटिल पारिस्थितिक तंत्र को भी नुकसान हो रहा है।
लगातार वन्य प्राणियों का शिकार होना गंभीर विषय है, प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी को इस मामले में कठोर कार्यवाही करनी चाहिए।
आदिल खान, वाइल्डलाइफ एंड नेचर कंजर्वेशन एक्टिविस्ट