अगले वर्ष बैतूल जिले की 200 जयंती पर कार्तिक मास की पूर्णिमा पर बैतूल जिले से निकलने वाली 256 नदियों पर मनेगी जल देवी जयंती।
बैतूल। मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में बीते तीन दशक से नदियों के संरक्षण एवं नदियों के मान – सम्मान की जमीनी लड़ाई लडऩे वाले पर्याविद , भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा गठित पर्यावरण वाहिणी के सदस्य एवं बैतूल जिला पर्यावरण संरक्षण समिति के अध्यक्ष मां ताप्ती के अन्यय भक्त रामकिशोर पंवार ने शिवधाम बारहलिंग में आयोजित माँ पुण्य सलिला सूर्यपुत्री ताप्ती के राम – जानकी आरती द्वार कार्यक्रम के अवसर पर कहा कि बैतूल जिले में नदियां कांग्रेस – भाजपा के नेताओ की प्रतिष्ठा की लड़ाई में अपना मान – सम्मान खोने लगी है। लोगो ने धन बल और बाहुबल के दंभ पर नदियों के बहाने अपना खोया जनाधार पाने का जो खेला खेल रहे है, उसे नदियां माफ नहीं करने वाली।
पहले देनवा और अब 256 नदियो की जयंती
सतपुड़ा ताप बिजली घर की राख से पुरी तरह प्रदुषित हो चुकी छोटा महादेव की पहाडिय़ों में बाबा भोलेनाथ की मुख्य गुफाद्वार से निकली पुण्य सलिला जीवन दायनी देनवा नदी को लेकर वर्ष 1985 से लेकर 1995 तक नदी बचाओ अभियान की अलख जगाने के बाद बैतूल आए रामकिशोर पंवार ने ताप्ती नदी के मान – सम्मान की लड़ाई के बाद एक नई जंग की शुरूआत की है।
अगले वर्ष बेतूल जिला मुख्यालय की 200 वी वर्षगांठ पर बैतूल जिले की दस जनपदो की 558 ग्राम पंचायतो से गुजरने वाली 256 नदियों की एक साथ कार्तिक मास की पूर्णिमा पर जलदेवी की जयंती मनाई जाएगी। श्री पंवार के अनुसार उनके पास बैतूल जिले के गांवो और जंगलो के आसपास के निकलने वाली सभी छोटी – बड़ी 200 से अधिक नदियों की सूचि जन सहयोग से प्राप्त हो चुकी है। श्री पंवार के अनुसार लोगो को जिले का भगौलिक इतिहास तक नहीं पता है ऐसे लोग जिले में सत्ता और संगठन की आड़ में भले ही तमगे हासिल कर ले लेकिन इन्हे यह तक नही मालूम कि उनके बगल से नदी बहती था नाला ?
नदियो के पुर्न:जीवन के नाम पर खेल
पर्याविद रामकिशोर पंवार ने इस अवसर पर जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में बैतूल जिले में इन 200 से अधिक नदियों में से कुछ विलुप्त हो चुकी है, तथा कुछ की जल वेग की क्षमता के कारण धीरे – धीरे नाले में बदलने के बाद अब पूरी तरह से तथाकथित खेत – खलिहान में परिवर्तित हो चुकी है। कई नगरीय क्षेत्र से गुजरने वाली नदियां एवं नालो पर फैला अतिक्रमण उसके रूप और स्वरूप को निगल चुका है। बैतूल जिला मुख्यालय से किसी जमाने में आधा दर्जन नाले सरकारी रिकार्ड के अनुसार वर्तमान की नदियो की तरह जल क्षमता के साथ बहा करते थे लेकिन अब उन नालो को नालियों का रूप दे दिया गया है।
मां के हाथो लोकापर्ण
शिवधाम बारहलिंग में जन सहयोग से पुण्य सलिला मां सूर्यपुत्री ताप्ती के किनारे बनवाए राम जानकी आरती द्वार का पत्रकार रामकिशोर पंवार की माता जी श्रीमति कसिया बाई दयाराम पंवार के हाथो सम्पन्न हुआ। लोकापर्ण के पूर्व माँ सूर्यपुत्री ताप्ती की ध्वजा को पहराया गया। बीते दो वर्षो में शिवधाम बारहलिंग में एक नहीं दो तट से नदी तक पहुंच मार्ग जिसमें एक में सीढिय़ा तथा दुसरे में सीमेंट – क्रांकीट से निर्मित पक्के ढलान मार्ग केे बाद सुंदर मार्बल से सजे – धजे दो आरती द्वार बनवाए गए। जन सहयोग से बिना शासकीय मदद के नदी के किनारे बनवाए गए आरती द्वार के लिए जनसहयोग से सीमेंट- क्रांकीट- मार्बल तथा अन्य सामग्री एक दर्जन से अधिक दान – दाताओं से मिली।
बारहलिंग ताप्ती घाट पर एक निमार्ण न करने वाले
जनप्रतिनिधियों ने लोकापर्ण कार्यक्रम से बनाई दूरिया
बैतूल जिले के जनप्रतिनिधियों ने बीते वर्षो में शिवधाम बारहलिंग में एक भी ऐसा जनहित का कार्य नहीं किया जिसका लाभ जिले की धर्म प्रेमी जनता को मिल सके। शिवधाम बारहलिंग में आयोजित राम – जानकी आरती द्वार के लोकापर्ण कार्यक्रम में यूं तो जिले के सासंद से लेकर विधायक एवं कांग्रेस – भाजपा के जनप्रतिनिधियों को व्यक्तिगत रूप से मिल कर आमंत्रण दिया एवं सोशल मीडिया तथा संदेश वाहको से आमंत्रण भिजवाया गया था लेकिन सभी ने लोकापर्ण कार्यक्रम से दूरिया बना कर जिले की दोनो नदियों को लेकर अपनी राजनैतिक ताकत दिखाने का काम किया।