कोल माईनस खदान ठेका मजदूरों एवं मध्यप्रदेश पावर जनरेटी कम्पनी के ठेका कामगारों के बोनस की हकमारी

RAKESH SONI

कोल माईनस खदान ठेका मजदूरों एवं मध्यप्रदेश पावर जनरेटी कम्पनी के ठेका कामगारों के बोनस की हकमारी

 

 

सारणी। कोल माईनस खदान ठेका मजदूरों एवं मध्यप्रदेश पावर जनरेटी कम्पनी के ठेका कामगारों के बोनस की हकमारी

1 श्रम कानूनों का उल्लंघन खुले आम हो रहा है
2 अपना हक मांगने पर ठेकेदार भी काम से निकाल देते हैं
3 शासकीय दर पर नही मिलती मजदूरी मैनेजमेंट भी नहीं देता ध्यान
दिपावली भी नहीं मिला बोनस
एड राकेश महाले ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि
कोयला खदान ठेके मजदूरों एवं मध्यप्रदेश पावर जनरेटी कम्पनी के विधुत ठेका मजदूर भाई बहनों को दशहरा दिपावली जैसे पर्व पर उनके बोनस सहित अन्य अधिकारों की हकमारी हुई है जो की अन्याय पुर्ण है कोयला कामगारों हर वर्ष JBCCI के मानकीकरण समिति की बैठक के माध्यम से कोल इंडिया एवं उसके अनुषंगी कम्पनियों सिगरेनी के गैर अधिकारी वर्ग को दशहरे से पहले पी. एल. आर. (परफार्मेंस लिंवड रिवार्ड) के तहत एक सम्मानजनक राशी दी गई। वही राजपत्र क. 2 दारा बोनस एक्ट में संशोधन किया गया जिसमें बोनस मिलने की पात्रता को 10000 रू से कम से बड़ा कर 2000 रु तक कर दिया गया। जिसे भले 1. 1. 2016 से लागू किया गया लेकिन 1 अप्रैल 2014 से सभी पात्र ठेका मजदूरों को बोनस देने की बाध्यता की गई। यह बात विषेश है कि इस संशोधन के दायरे में कोल इंडिया का स्थाई एवं ठेका मजदूर दोनो आते हैं वहीं ठेकेदार मजदूरों को बोनस के नाम पर पात्र होने पर जाने पर पेमेंट आफ एक्ट 1965 के विधमान नियमों के अनुपालन से यह दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से देख गया है 80/ से ज्यादा ठेकेदारों दारा मजदूरों को लाभ नहीं दिया जाता। अगर देखा जाए तो कोल इंडिया में उत्पादन में ठेका कामगारों का योगदान 65/ से ज्यादा है और आगे भी बढता रहेगा। कोल इंडिया में भले ही मजदूरों को H. P. C के तहत वेतन देने का समझौता 2012 से हूआ है लेकिन हम जानते हैं किसी को भी H. P. C वेज नही मिलता। वहीं H. P. C के वैजस के आकड़ों का एवं पेमेंट आफ बोनस संशोधन 2016 के संशोधित प्रावधानों का आढ लेकर हमारे ठेका मजदूर भाईयों को उनके आर्थिक अधिकारों से वंछिंत रखना अन्याय पुर्ण हैं। महाले बताया कि
वहीं मध्यप्रदेश पावर जनरेटी कम्पनी के ठेका मजदूर भाईयों को श्रम अधिनियमों के तहत 8.33/ के हिसाब से बोनस भुगतना किया जाना चाहिए था इस हिसाब से 10000 हजार रुपये से ज्यादा बोनस बनता है मगर ठेकेदारों दारा कुछ लोगों 1 हजार रुपये देकर चलता कर दिया गया। वहीं मजदूरों को शासकीय दर्ज पर ठेका कामगारों को मजदूरी नही मिल रही है वहीं ठेकेदारों दारा लगातार मजदूरों का शेषण किया जाता है विरोध करने पर अपने अधिकारों की बात करने पर काम से बंद कर दिया जाता है यह अन्यायपूर्ण है वहीं मैनेजमेंट भी ठेकेदारों पर नकैल नही कसती है दोनों क्षेत्रों के ठेकेदारों के हक अधिकारों श्रम कानूनों के पुर्ण पालने को मजदूरों को लामबंद कर आंदोलन की रणनीति बनाई जायेगी।

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