टीबी मुक्त मध्यप्रदेश जन आंदोलन की जागरूकता हेतु धर्म गुरूओं की कार्यशाला आयोजित
बैतुल:- स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुधवार 04 अगस्त को जिला चिकित्सालय के सभाकक्ष में टीबी मुक्त मध्यप्रदेश जन आंदोलन की जागरूकता हेतु धर्म गुरूओं की कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में जिला क्षय अधिकारी डॉ. आनंद मालवीय, जिला मीडिया अधिकारी श्रीमती श्रुति गौर तोमर, प्रोग्राम मैनेजर पीपीएसए डॉ. इमरान अली, उप मीडिया अधिकारी श्री महेश राम गुबरेले एवं श्रीमती अभिलाषा खर्डेकर सहित विभिन्न धर्मों के धर्म गुरू मौजूद रहे।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य टी.बी. की बीमारी एवं उपचार से संबंधित जानकारी जनसमुदाय तक पहुंचाना तथा टीबी से पीडि़त मरीजों को नि:शुल्क सम्पूर्ण उपचार देकर उन्हें बीमारी से पूर्ण स्वस्थ करना है।
जिला क्षय अधिकारी डॉ. आनंद मालवीय ने धर्म गुरूओं के माध्यम से जिले की जनता में टीबी की बीमारी के प्रति फैले भय को दूर करने एवं अधिक से अधिक लोग जांच करा सके, यह प्रयास करने की बात कही। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम की जानकारी देते हुये उन्होंने बताया कि टीबी की बीमारी एक सूक्ष्म बैक्टीरिया माइक्रो बैक्टीरियम ट्यूबर क्यूलोसिस से होती है, खखार की माइक्रोस्कोपिक जांच, एक्स-रे, ट्रयूनॉट मशीन के द्वारा जांच कर बीमारी का पता लगाया जाता है। बीमारी के लक्षण खांसी चलना, बुखार आना, सांस फूलना, बलगम के साथ खून आना, वजन कम होना आदि हैं। टी.बी की बीमारी फेफड़ों के अतिरिक्त लसिका ग्रंथियों, हड्डियों, जोडों़ में, जननांग, स्नायुतंत्र, आंतों में एवं शरीर के अन्य अंगो में होती है। यह बीमारी केवल शरीर के बाल, दांत, नाखून में नहीं होती है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी को समाप्त करने के लिये आवश्यक है कि बीमारी की शीघ्र पहचान, शीघ्र जांच, नि:शुल्क एवं पूर्ण उपचार लेना तथा रोकथाम हेतु समस्त प्रोटोकॉल का पालन किया जाए। टी.बी. लाइलाज नहीं है सही समय एवं सही स्थान पर व्यक्ति पहुंच जाये तो इसका इलाज पूर्णत: संभव है। शासकीय चिकित्सालयों में दवाइयों की नि:शुल्क उपलब्धता है, दवाइयां गुणवत्तापूर्ण हैं एवं इलाज में कारगर है। जिले में सीबी नेट मशीन से नि:शुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध है। टीबी के रोगी से अपेक्षा होती है कि वे अपनी दवाएं उपयुक्त रूप से और समय पर लेंगे, परंतु जब रोगी स्वयं मे कुछ बेहतर महसूस करने लगते हैं तो स्वाभाविक रूप से इलाज बंद कर देते हैं। अत: उन्हें डॉट्स नियमित समय तक लेना चाहिये। यदि नियमित रूप से दवाएं ली जाएं और पूरा उपचार कराया जाए तो टीबी से पूरी तरह मुक्त हुआ जा सकता है। निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत 500 रुपए प्रतिमाह हितग्राही के खाते में जमा किये जाते हैं, यह राशि छ: माह से लेकर नौ या बारह माह तक अथवा उपचाररत् अधिकतम अवधि में हितग्राही के खाते में सीधे जमा की जाती है। अत्यंत आवश्यक है कि दो सप्ताह से अधिक की खांसी होने पर खखार की जांच करायें एवं पूर्णत: नि:शुल्क उपचार प्राप्त करें। डब्ल्यूएचओ द्वारा वर्ष 2035 तक टीबी के समूल उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जबकि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2025 तक मिशन मोड पर क्षय की बीमारी को पूर्णत: देश से हटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इस महा अभियान में हम सबको अपना पूर्ण सहयोग देना है। सभी धर्म गुरूओं का बीमारी संभावित लक्षणों के आधार पर मरीजों को करीब के स्वास्थ्य संस्थाओं जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक भिजवाने एवं भ्रांतियों का निवारण कर पूर्ण जांच उपचार में सक्रिय सहयोग अपेक्षित है।
जिला मीडिया अधिकारी श्रीमती श्रुति गौर तोमर ने कहा कि धर्म गुरूओं से अपेक्षा है कि वे आमजन को टीबी की बीमारी के प्रति प्रेरित करें। टीबी की बीमारी किसी भी जाति, धर्म, अमीर-गरीब, बच्चे, बड़े, वृद्ध को हो सकती है। अत: जन-समुदाय में जागरूकता लाने हेतु सभी धर्म गुरू समय-समय पर लोगों को बीमारी के संबंध में जानकारी देकर संभावित मरीजों को निकट के शासकीय अस्पतालों में पहुंचाने में सहायता करें, ताकि अपने घर, परिवार, गांव, जिला एवं प्रदेश को टीबी मुक्त बनाया जा सके। हर धर्म की मान्यता है कि जरूरतमंद की मदद करें। समाज में सभी स्वस्थ रहें यह सबसे बड़ी मदद होगी। उन्होंने कोरोना वायरस की गंभीरता की जानकारी देते हुये सतत सावधानी रखने को भी जरूरी बताया, साथ ही यह भी बताया कि शरीर की कम प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता है। मास्क लगाना, सामाजिक दूरी का पालन करना एवं बार-बार साबुन पानी से हाथ धोने की आदत को अपने दैनिक जीवन में समाहित करना होगा। टीबी के मरीज यदि समय पर उपचार लें तो वे पूर्णतया स्वस्थ हो सकते हैं।