आन लाइन साहित्य संगोष्ठी भाग -4
सारनी:- संस्कार भारती भोपाल, महानगर द्वारा आयोजित साहित्य संगोष्ठी के चतुर्थ भाग का शुभारंभ दुर्गा मिश्रा ने सरस्वती वंदना के साथ किया । कोरोना काल में भी कला के क्षेत्र में सक्रियता बनी रहे , इसी उद्देश्य से संस्कार भारती के साहित्य विधा द्वारा लेखन कौशल व वक्तृत्व कौशल को विकसित करने के लिये प्रारम्भ की गई साहित्य संगोष्ठी की लोकप्रियता शनैः शनैः बढ़ रही है । इस संगोष्ठी में पुस्तक परिचय के अन्तर्गत ऊषा सक्सेना ने भगवती चरण वर्मा के उपन्यास “चित्रलेखा” तथा सुनीता यादव ने डाॅ. राम वल्लभ आचार्य के काव्य संग्रह “पांचजन्य का नाद चाहिये” का परिचय एवं उक्त पुस्तकों के संबंध में अपने-अपने विचार व्यक्त किए। प्रांतीय साहित्य विधा प्रमुख कुमकुम गुप्ता ने साहित्य संगोष्ठी की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए ।
ऑनलाइन संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में सम्मिलित शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय,भोपाल के प्राध्यापक डाॅ. सुधीर शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि हमें नये रचनाकारों के लेखन को प्रोत्साहित तथा अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।अच्छा लिखने के लिए अच्छा सुनना आवश्यक है।अच्छा वक्ता के लिए अच्छा श्रोता होना जरूरी है।रचनाकार को समाज हित को ध्यान में रखकर लिखना चाहिए ,जिससे समाज एवं देश का भला हो सकता है । बोलना एक कला है , अच्छा बोलने वाला जरूरी नहीं कि अच्छा लेखन करे । लेकिन वक्ता में कुछ विशेष गुण होना चाहिए जिससे श्रोता मंत्र मुग्ध होकर उनका भाषण सुने। वक्ता में आत्मविश्वास बहुत जरूरी है।नए बच्चे जो साहित्य के क्षेत्र में कुछ उत्कृष्ट करना चाहते हैं तो उन्हें अपनी प्रतिभा को विकसित करने हेतु नियमित रूप से अच्छा साहित्य पढ़ना चाहिए । आपने प्रस्तोताओं द्वारा भगवती चरण वर्मा की कृति “चित्रलेखा” एवं डॉ.रामवल्लभ शर्मा की कृति “पाञ्चजन्य का नाद चाहिए” पर रखे गए विचारों को भी सराहा।संगोष्ठी का संचालन दुर्गा मिश्रा और आभार प्रदर्शन राजेन्द्र राज ने किया।इस अवसर पर मध्य भारत प्रांत के सह महामंत्री मोतीलाल कुशवाह , सुनीता यादव , अनीता करकरे , अरूणा शर्मा , हरदा से राजेन्द्र प्रसाद तिवारी , अंबादास सूने व अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।