भारत में विज्ञान की गौरवशाली परम्परा। विश्व गुरु रहा है भारत डॉ. सदानंद सप्रे
सारनी। जब पश्चिम के देशों में सभ्यता का विकास हो रहा था, भारत विश्व को आध्यात्म और विज्ञान की शिक्षा दे रहा था । हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था । विश्व गुरू था भारत । नालंदा एवं तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय भारत में थे, जहाँ दुनिया के लोग शिक्षा ग्रहण करने आते रहे हैं । भारत को सपेरों का देश कहा जाता था। यह विचार केसरी के तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन बैठक में डॉ.सदानंद सप्रे ने व्यक्त किये । इस मौके पर देश भक्ति गीत प्रस्तुत किया गया । डॉ. सप्रे ने बताया कि आज गुरुत्वाकर्षण के नियम की बात की जाती है तो आइजेक न्यूटन का नाम आता है । जबकि न्यूटन से सैकड़ों वर्ष पूर्व भारत के भास्कराचार्य गुरुत्वाकर्षण के नियम की खोज कर चुके थे। पश्चिम के तथाकथित आधुनिक बुध्दिजीवियों और इतिहासकारों ने ऐसा माइंड सेट किया कि भारत में कुछ भी नहीं है, जो दिया है पश्चिमी ने दिया । हमें हमारी गौरवशाली परम्परा, वैभवशाली इतिहास की जानकारी नहीं होने के कारण यह स्थिति है। हमारे वेद , ग्रंथों में अथाह ज्ञान का भंडार है । पुष्पक विमान त्रेतायुग में था । दुनिया ने कम से कम महाभारत काल जो 5 हजार वर्ष पूर्व का है मान लिया है । विमान शास्त्र के बारे में भारतीय वायुसेना के सेवा निवृत्त वाइस एयर मार्शल विश्व मोहन तिवारी ने बताया कि भारत में विज्ञान अपने उच्च शिखर पर था । भारद्वाज संहिता में विमान शास्त्र के बारे में विस्तृत जानकारी है । विमान अदृश्य होने की कला का वर्णन मिलता है । इसी से हम कल्पना कर सकते हैं कि भारत वैज्ञानिक दृष्टि से कितना उन्नत था। यह बात वायुसेना के सेवा निवृत्त अधिकारी ने स्वीकार किया है । भारत ने पोखरण -2 का परीक्षण किया उस समय भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाये । हमारे तत्कालीन नेतृत्व ने सभी विरोधो का सामना कर देश के वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ाया । आज के परिपेक्ष्य में देश की युवा पीढ़ी को गौरवान्वित होना चाहिए कि आज का भारत वैज्ञानिक दृष्टि से भी सक्षम है तभी भारतीय अंतरिक्ष संगठन के द्वारा विदेशीे सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे हैं । यहाँ तक कि अमेरिका और चीन के सैटेलाइट भी इसरो ने भेजे हैं । आज की युवा पीढ़ी के लिए यह गौरवान्वित होने का विषय है। इस अवसर पर देश के विभिन्न क्षेत्रों से ऑनलाइन कार्यक्रम में सतीश पिपलीकर भोपाल , धर्मेन्द्र पान्डेय सिरमौर , सारनी से राजेंद्र प्रसाद तिवारी , नेपानगर से अनिरुद्ध सूने , पूणे से योगेश डोंगरे , विदिशा से बी एम शाक्य , मंडला से राकेश झा देवास से ए आर पटेल , खंडवा से लक्ष्मण राउत , आसनसोल से प्रदीप कुमार सिंह , आदि अनेक लोग उपस्थित थे ।