ग्राम बरहापुर द्वारा अनोखी पहल -मेरा गाँव मेरा भविष्य विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर वृक्षारोपण का पहला चरण आरम्भ होगा
भैंसदेही तहसील के ग्राम बरहापुर के युवाओं ने अपनी मातृभूमि के लिए छोटा सा योगदान देकर अपने गाँव को हरा भरा करने का संकल्प लिया इसमें बढ़चढ़कर युवाओ का सहयोग मिल रहा है
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर वृक्षारोपण का पहला चरण आरम्भ होगा
भैंसदेही:- ग्राम बरहापुर के युवाओं ने औषधी पौधे , फलदार पौधे एवं ऑक्सीजन बढ़ाने वाले पौधों का चयन किया है ,जिनमे कुल 151 पौधो के साथ एक नक्षत्र वाटिका भी शामिल है | उन पौधों में आम,अशोक,लक्ष्मितारू ,आवला , नीम,पीपल,आकड़ा,वैत,साल,सखुआ,कैथ,कांहा,कोह,चमेली ,पलाश ,चंपा,कुचिला,कदम ,पुत्राजीवा,कचनार,कुचिला ,गुलर,जामुन,खैर,कृष्णगुरु,बांस,चंपा,बद्वत,कनेर,चमेली,महुआ,कीकर,मैलसरी आदि के वृक्ष रोपित किय जाएंगे|
कोरोना के आने के बाद से हम सभी का जीवन पुर्ण रूप से बदल गया हैं,
जहाँ तक हमने महसूस किया हम सभी को हमारे गॉव जन्मभूमि की जरूरत पड़ी और जन्मभूमि की गोद ने हम सबको स्वीकार्य भी किया!
पर पलट कर हमने जन्मभूमि के तरफ जब देखा तो पता चला की आधुनिकता के नाम पर तो हमने गॉवो मे बड़े-बड़े बदलाव देखे परंतु उन सब बदलावो के होने से हमने हमारी प्रकृति को उधानिकी के समक्ष भेट कर दिया | जिसके परिणाम स्वरूप हमारे गॉवो मे खिलखिलाती हरियाली अब समाप्त होने की कगार पर है ,गॉव मे बचपन मे जिन सड़को पर भर दोपहरी मे नंगे पॉव जहॉ हम चला करते थे उनकी जगह चमचमाती सड़को ने ले ली
जगह जगह कुंवो के पानी की प्यास अब नही दिखाई देती हालांकि *विकास जरूरी होता है पर विनास के पथ पर नही* और भी कई ऐसे बदलाव हुवे जिनसे हमने अपनी ऑखो के सामने प्रकृती को नष्ट होते देखा!
हमे लगता हैं हम ही वह अंतिम पीढ़ी हैं जिसने गॉव के वो सुख भोगे हैं परंतु हमारे बाद यानी 2000 के बाद आने वाली पीढ़ी इन सब बातो को केवल किस्सो मे सुन रही हैं या किताबो मे पढ़ रही हैं!
हम यह नही कहते की बदलाव गलत हुवे परंतु बदलाव के साथ-साथ हमारी प्रकृती को छीन लिया हैं!
चुकी हम आखरी पीढ़ी थे जिन्होंने यह सुख भोगा हैं इसका मतलब नही की उन्नति हमारो पूर्वजों ने नही चाही थी उन्होने भी उन्नत कार्य किये परंतु उन्होंने उन्नति के साथ पर्यावरण को साथ रखा और हमने पर्यावरण को छोड़ दिया!
कोरोना के बाद से हमे जीवन मे इन सब का महत्व तो समझ आ गया हैं!
इसलिये हमारा कर्तव्य बनता हैं की हम भी अपने अपने गॉवो से शुरूआत तर हमारी सबसे बड़ी धरोहर हमारी मॉ हमारी प्रकृति को दोबारा हरियाली की भेट करे वापस से हम वो धरोहर को जीवित करें एवं मात्रभूमि के बेटे होने का हक़ अदा करे!
क्यूंकि आज हमने कदम नही उठाए तो यह काम हमारी बाद की पीढ़ी कभी नही कर पायेगी ये हमारी जवाबदारी हैं की हम उन्हे यह सौंप कर जाये!
जिसके लिये हमे स्वम सब से पहले आना पड़ेगा!