सोयाबीन फसल बोवनी के लिए सलाह
बैतूल:- उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास श्री केपी भगत ने जिले के किसानों से कहा है कि जिले में सोयाबीन एक प्रमुख खरीफ की तिलहनी फसल है। जिले के कृषकों के लिए यह प्रमुख नगदी फसल है। विगत वर्षों में इस फसल में अनेक कीट व्याधियों का प्रकोप हुआ है एवं अनियमित मानसून के कारण भी इस फसल को गंभीर क्षति हुई है। खरीफ में सोयाबीन की बोवनी के पूर्व किसान कुछ बातों पर ध्यान दें तो निश्चित ही सोयाबीन का उत्पादन बढ़ेगा।
मिट्टी की जांच आधारित उर्वरकों की मात्रा देवें। पोटाश एवं गंधक की पूर्ति अवश्य करें।
बोवनी करते समय मेढ़ नाली पद्धति या रेज्ड बेड पद्धति से ही बोवनी करें, जिससे कि फसल को हानि न हो। इन पद्धतियों से बोवनी करने पर सोयाबीन में जड़-सडऩ रोग की जीवता कम होती है।
जिले के लिए अनुशंसित प्रजातियों जेएस 20-69, आरव्हीएस 2001-4, जेएस 93-05, जेएस 95.60, जेएस 20-34 आदि का प्रयोग करें।
घर का बीज उपयोग करने की स्थिति में बीज को स्पाइरल ग्रेडर से साफ करें, तत्पश्चात् आवश्यकतानुसार कीटग्रस्त, रोगग्रस्त, कटे-फटे बीजों को चुनकर अलग करें।
बोने के पूर्व वीटावेक्स 2 ग्राम या कार्बेण्डेजिम 2 ग्राम या थायोफिनेट मिथाइल+ पायरोक्लोस्ट्रोबिन 2 मि.ली. + 8 मि.ली. पानी प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें। फफूंदनाशी से बीजोपचार के पश्चात् थायोमेथाक्जाम या इमिडाक्लोप्रिड पाऊडर से 2 ग्राम/किलो बीज की दर से बीजोपचार करें। भलीभांति उपचारित बीज का अंकुरण परीक्षण हेतु कम से कम 500 दानों को उगाकर देख लें। यदि 70 प्रतिशत अंकुरण हैं तब इसे बोवनी के लिए उपयोग करें। यदि बीज अंकुरण कम आता है तो 10-20 किलो बीज प्रति हेक्टेयर अधिक उपयोग करे।
तकनीकी सलाह हेतु क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं विकास खंड स्तर पर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।