केंद्र सरकार के अहंकार के कारण कोरोना महामारी ने लिया विकराल रूप
सारनी:- पिछले साल कोरोना के शुरुआती दौर में सरकार की ओर से महामारी पर नियंत्रण पाने में बेहतरीन काम किया गया था लेकिन दूसरी लहर में सरकार ने बड़ी गलतियां करके देश को एक संकट की ओर धकेल दिया और हालात ये हैं कि अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं है तो मरीजों की लाशें मुर्दाघरों में यहां वहां पड़ी हैं। उन्होंने ने बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से बनाये गये वैज्ञानिकों के पैनल सलाहकार कमेटी के अध्यक्ष सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील ने मार्च के शुरू में ही संबंधित अधिकारियों को कोरोना 19 महामारी के नये और पिछले के मुकाबले ज्यादा संक्रामक वैरिएंट को लेकर आगाह कर दिया था।कल डॉ शाहिद जमील के सलाहकार कमेटी के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया।जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में वैज्ञानिक साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए जिद्दी प्रतिक्रिया का सामना कर रहे हैं।
डॉ मोदी ने कहा की सरकार के अहंकार,अति राष्ट्रवाद और लोकप्रियता पाने की होड़ और बड़े पैमाने पर ब्यूरोक्रेसी की नाकामी ने मिल कर एक संकट खड़ा कर दिया। सरकार और चुनाव आयोग रैलियों और धार्मिक समारोहों को मंज़ूरी दे रही थी और इसमें बड़ी संख्या में लोग जुटने लगे।पहली लहर के बाद जब संक्रमितों की संख्या घटने लगी तो लोगों ने टीका लगवाना भी कम कर दिया। बहुत कम लोग उस दौरान टीका लगवा रहे थे.
जुलाई के आख़िर तक 25 करोड़ लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य था, लेकिन लोगों के इस रुख़ से टीकाकरण अभियान भी सुस्त पड़ गया.सरकार का मानना है की उनके पास बड़ी बहुमत है जिसकी वजह से वे बिना कैबिनेट बैठक / विपक्षी पार्टियों के सलाह लिए ही देश हित में फैसले ले रहे और उनकी सहयोगी पार्टी भी अपने स्वार्थ होने के कारण कुछ नहीं कहते है । परंतु पिछले दिनों आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा है की सरकार की गलतियों के कारण देश आज इस दौर से गुजर रहा है।
महामारी के बढ़ते संकट के बीच सरकार को एक बार फिर जिम्मेदारी और पारदर्शी ढंग से काम करना चाहिए और जनता को विश्वास में लेकर पुरानी गलतियां जो हुई है उसे प्रजातंत्र के आधार पर कमेटी का निर्माण कर जनता द्वारा ही सुधार करने का रास्ता बनाकर पेश कर जनता का विश्वास प्राप्त करे। फिलहाल कोरोना से बचने के लिए हमारे पास टीकाकरण ही एक उपाय है इससे दूसरी लहर कमजोर भी पड़ेगी और अस्पतालों तथा मेडिकल सेवाओं पर बोझ भी कम पड़ेगा. हमें टीकाकरण अभियान युद्ध स्तर पर चलाना ही होगा।